
कंकणाकृति ग्रहण दक्षिण भारत के केरल व तमिलनाडु के कई हिस्सों वेराकुलम, रामेश्वरम, तिरुवनंतपुरम में साफ दिखाई देगा। उधर देश के 99 फीसदी हिस्सों में खंडग्रास दिखाई देगा। इसके अलावा मध्य अफ्रीका, हिंद महासागर, पूर्वी एशिया में ग्रहण कंकणाकृति होगा जबकि पूर्वी यूरोप, अफ्रीका के अधिकतर हिस्सों, एशिया व इंडोनेशिया में खंडग्रास सूर्यग्रहण लगेगा।
खगोलविद दिव्य दर्शन पुरोहित के मुताबिक, पृथ्वी के घूमने की वजह से एक साथ लगने वाले खग्रास व कंकणाकृति ग्रहण को ‘हाइब्रिड’ ग्रहण के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा ग्रहण 2005 में देखने को मिला था और अगला 2013 में लगेगा, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा।
शुरुआत: सुबह 11 बजकर 26 मिनट पर ।
सर्वाधिक ढंका रहेगा: दोपहर एक बजकर 22 मिनट और 59 सेकंड के दौरान।
समापन: दोपहर तीन बजकर चार मिनट पर।
(कुल अवधि तीन घंटा 38 मिनट)
3 comments:
dhnyavaad,achhee jaankaaree.
आभार जानकारी का!!
शुक्रिया इस जानकारी के लिए
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