हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने के सही आकलन के लिए भारत चीन, भूटान, नेपाल और पाकिस्तान के साथ मिलकर एक क्षेत्रीय शोध कार्यक्रम शुरू करेगा। वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने यह घोषणा करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर पड़ोसी देशों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
यहां एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि हमने नेपाल स्थित अन्तरराष्ट्रीय समेकित पर्वतीय विकास केंद्र से संभावनाओं का पता लगाने को कहा कि हम किस प्रकार मिलकर ग्लेशियरों की वैज्ञानिक स्थिति का पता लगा सकते हैं। इसके अलावा भारत अपने स्तर पर भी कदम उठा रहा है। देहरादून में ग्लेशियर रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की जा रही है।
हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने के आईपीसीसी के अनुमान के बारे में रमेश ने एक बार फिर दोहराया कि आईपीसीसी के पास इस दावे के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था। रमेश पहले आईपीसीसी की बाबत जवाब देने से बचते रहे। फिर उन्होंने कहा कि आईपीसीसी के बारे में यह बात कहते हुए उन्हें कोई खुशी नहीं हो रही है।
क्या आईपीसीसी अध्यक्ष डा. राजेंद्र पचौरी को इस्तीफा दे देना चाहिए ? यह पूछे जाने पर उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अलबत्ता उन्होंने कहा कि वे मानते हैं कि हिमालयी ग्लेशियरों की सेहत ठीक नहीं है तथा इसे दुरुस्त करने के लिए हमें ठोस पहल करनी चाहिए। इसलिए हमें इनके पिघलने के वैज्ञानिक कारणों की तलाश करनी होगी और फिर रोकथाम के उपाय।
No comments:
Post a Comment