इसका महत्व यह है कि डरबन में महात्मा गांधी के बचे हुए अस्थि अवशेष समुद्र में बहाए जाएंगे। इसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं थी ।
महात्मा गांधी की अस्थियाँ डरबन पहुंची कैसे इसकी भी एक कहानी है । महात्मा गांधी की इन अस्थियों के बारे में उनके परिवार को भी लगभग डेढ़ साल पहले तक जानकारी नहीं थी । डरबन के समुद्र में 62 साल बाद ठीक उसी समय महात्मा गांधी के शेष अस्थि अवशेष समुद्र में बहाए जाएंगे जिस समय उनकी हत्या हुई थी ।
हमने महात्मा गांधी के परपोते केदार रामगोबिन से पूछा कि महात्मा गांधी के यह शेष अवशेष डरबन कैसे पुहंच गए तो उन्हों ने कहा, "गांधी परिवार का एक मित्र 1948 में यह अस्थि अवशेष अपने साथ दक्षिण अफ़्रीका ले आया। उन्होंने उसे स्मृतिचिन्ह की तरह अपने पास रखा , उनसे यह अस्थि अवशेष परिवार के एक मित्र विलास मेहता के पास आ गया ।
उन्होंने आगे कहा, "चांदी के कलश में रखे इस अस्थि अवशेष को मरने से पहले विलास मेहता ने अपनी बहू को सौंप दिया। और उनकी बहू ने इसे महात्मा गांधी की पोती और डरबन में गांधी डेवलपमेंट फ़ाउंडेशन की अध्यक्ष ईला गांधी को सौंपा । "
ईला गांधी कहती हैं, "महात्मा गांधी ने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ़्रीका में बिताए थे, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम यहाँ उन्हें श्रद्धांजलि दें । "
दक्षिण अफ़्रीका में स्थानीय समयानुसार सुबह पांच बजे महात्मा गांधी की इन शेष अस्थियों का विसर्जन होगा। गांधी परिवार के लगभग 200 सदस्यों और मित्रों के अलावा दक्षिण अफ़्रीकी नौसेना का एक बेड़ा भी इस समारोह में शामिल होगा ।
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