शरद पवार के मुंह पर लगे लकवे का असर अब उनके दिमाग पर साफ़ दिखने लगा है उन्होंने कहा है की देश में गरीबी पर नियंत्रण हुआ है और अब गरीब भी खाने लगे हैं तो खाने पीने की चीजों की तंगी होना स्वाभाविक है। अब कोई इस दिमाग के लकवे के मरीज से पूछे कि क्या तू चाहता है कि गरीब आदमी का जीवन स्तर न सुधरे अगर सुधर जाए तो मंहगाई इस हद तक बढ़ा दो कि उस साले नंगे भूखे को उसकी औकात याद आ जाए और फिर वह अपनी सही जगह पर पहुँच जाए। ऐसे लोगों कि सोच अमेरिकी नव उपनिवेश वादी है जो ये चाहते हैं कि गरीबी यथावत बनी रहे ताकि कस कर शासन करके दोहन करा जा सके और कोई विरोध न हो।
जय जय भड़ास
4 comments:
nice
suman ji ke bahumoolya vichaaron se sahmat
भाईसाहब ये आदमी सठिया गया है इसलिये अल्ल बल्ल कुछ भी बकता रहता है। लोगों को ऐसे बूढे बौराए लोगों को इनकी जगह दिखानी चाहिये, खुद तो चर्बी की दुकान दिखाई देता है
जय जय भड़ास
बीमार देश की पहली पहचान है कि रोगी कृषि मंत्री है जिसने हमारे देश के कृषि सम्पदा को बेचने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. दुर्भाग्य कि प्रधानमंत्री का मौन इस नपुंशक को बधाबा दे रहा है जो देश के लिए घातक है.
जय जय भड़ास
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