जयपुर साहित्य उत्सव में आई पी एल की चर्चा !!

जयपुर साहित्य उत्सव में दक्षिण एशिया के देशों के साहित्यकारों ने आपसी संबंधों की बात की और इस सिलसिले में आईपीएल क्रिकेट में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को शामिल ना करने पर भी चर्चा चल निकली ।

पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने इस पर दुख व्यक्त किया और कहा कि इससे बहुत ख़राब संदेश गया है। कुछ ने इसके लिए सरकार को ज़िम्मेदार बताया तो किसी ने हालात को । "

वैसे तो ये साहित्य का मेला था, मगर पड़ोसियों के बीच बात चली तो दूर तक गई। पाकिस्तान की मानव अधिकार कार्यकर्ता आस्मा जहाँगीर ने कहा कि इससे दोस्ती के लिए बनते माहौल में रुकावट पैदा हुई है।

बाद में जहाँगीर ने मीडिया से कहा, "दोनों तरफ के लोगों में संवेदना की कमी है, वो ये नहीं समझते कि ऐसा एक काम करने से ये एक निजी मामला नहीं रह जाएगा । "

अस्मा कहती हैं कि फिर ऐसे मामले ज़हनियत से जोड़ कर देखे जाते हैं और वो देश का मामला बन जाता है। हालाँकि वो इससे सहमत नहीं हैं। मगर वे कहती हैं कि इसका पाकिस्तान में बहुत ही ख़राब संदेश गया है । वे कहती हैं, "हमारे जैसे लोग जो दोस्ती की आवाज़ बुलंद करते हैं उनको भी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है और जो भारत में हमारे जैसे लोग हैं, उनको भी तकलीफ़ हुई। मुझे लगता है कि व्यापार में लगे लोगों को भी थोड़ी राजनीतिक शिक्षा की जरूरत है । "

गीतकार और लेखक जावेद अख्तर कहते हैं, "ये कोई योजनाबद्ध तरीके से नहीं हुआ। दरअसल इसके लिए वो माहौल और हालात ज़िम्मेदार हैं जिसमें कोई पाकिस्तानी खिलाड़ी को लेने से डरता है। हर कोई बोली लगाने वाला सोचता रहा कि कोई दूसरा पाकिस्तानी खिलाड़ी को ले लेगा। आखिर में सब देखते रह गए । "वे कहते हैं, "हमें इस पर बने शक को दूर करना चाहिए क्योंकि दोनों तरफ़ के लोग दोस्ती चाहते हैं । "

लाहौर के अली सेठी ने कहा, "इससे दोस्ती के माहौल को बहुत बड़ा धक्का लगा है। पाकिस्तान में ये एक बड़ा मुद्दा बन गया। लोगों में ग़ुस्सा और कहीं-कहीं शर्मिंदगी का भाव है । "उनका कहना था, "हमें देखना चाहिए फ़िल्म, संगीत और क्रिकेट जैसे विषय हमेशा दोनों देशो के लोगों को जोड़ते रहे हैं।यहाँ तक कि बड़ी-बड़ी घटनाओ के बीच भी इन सबने लोगों को जोड़े रखा है। ये ही तो लोगों को जोड़ने का रास्ता है और हमें इसे बनाए रखना चाहिए । "

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर नज़र रखने वाले सिद्धार्थ वरदराजन इसके लिए भारत सरकार को ज़िम्मेदार मानते हैं । वे कहते हैं, "ये ठीक है कि इसके लिए सरकार के कोई निर्देश नहीं थे। मगर सरकार का ये कहना कि पाकिस्तान अपने गिरेबान में झांके, ठीक नहीं था क्योंकि खेल के मैदान में सियासत नहीं लानी चाहिए।पाकिस्तान के लोग हमसे दोस्ती चाहते हैं और हम उनको कट्टरपंथियो की तरफ धकेल रहे हैं । "इस विवाद से रिश्तों में दोस्ती और मोहब्बत की पैरवी करने वाले मायूस हुए हैं ।


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