उच्च पदस्थ रक्षा सूत्रों ने बुधवार को यहां बताया कि रक्षा मंत्री ने सेनाध्यक्ष को लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश और सेना में सैन्य सचिव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की सलाह दी है।
सेनाध्यक्ष ने इससे पहले जनरल प्रकाश के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई का आदेश दिया था जिसमें कोर्ट मार्शल की जरूरत नहीं होती। प्रकाश को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था जिसका उन्होंने जवाब दे दिया था।
प्रकाश सेनाध्यक्ष के करीबी समझे जाते हैं जो 31 जनवरी को अवकाश ग्रहण करने वाले हैं। मनोनीत सेनाध्यक्ष ईस्टर्न आर्मी कमाण्डर वी के सिंह ने लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश तथा एक जांच अदालत द्वारा दोषी ठहराये गये अन्य के खिलाफ कड़े कदम उठाने की सिफारिश की है। अदालत ने उन्हें पश्चिम बंगाल के दार्जीजिंग में सुकना सैन्य स्टेशन से लगी 71 एकड़ जमीन की बिक्री के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का दोषी ठहराया था।
यह स्पष्ट नहीं है कि क्या रक्षा मंत्रालय ने दो अन्य अधिकारियों लेफ्टिनेंट रमेश हलगाली और मेजर जनरल पी सी सेऩ के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई का निर्देश दिया है। ये दोनों अधिकारी भी मामले में कथित तौर पर संलिप्त हैं।
इससे पहले सेनाध्यक्ष ने केवल लेफ्टिनेट जनरल पी के रथ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी।
एंटनी ने जनरल कपूर से कहा था कि वह सभी चारों के खिलाफ समान कदम उठाए। कथित तौर पर उन्होंने पूछा है कि मामले में दोषी ठहराये जाने के लिए उनके खिलाफ क्यों नहीं अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है।
ईस्टर्न कमाण्ड से कोर्ट आफ इन्क्वायरी रिपोर्ट मिलने के बाद सेनाध्यक्ष ने एडज्यूटेंट जनरल मुकेश सभरवाल को लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश, लेफ्टिनेंट जनरल रथ, लेफ्टिनेंट जनरल हलगाली तथा मेजर जनरल सेन के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था।
जमीन जायजाद का कारोबार करने वाले दिलीप अग्रवाल को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल रथ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई।
भूमि घोटला तब सामने आया जब पता लगा कि लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश के करीबी समझे जाने वाले अग्रवाल ने सेना को गलत जानकारी दी कि उसका ट्रस्ट अजमेर स्थित मेयो कालेज की एक शाखा खोलेगा।
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