शरद पवार के मुंह पर लगे लकवे का असर अब उनके दिमाग पर साफ़ दिखने लगा है उन्होंने कहा है की देश में गरीबी पर नियंत्रण हुआ है और अब गरीब भी खाने लगे हैं तो खाने पीने की चीजों की तंगी होना स्वाभाविक है। अब कोई इस दिमाग के लकवे के मरीज से पूछे कि क्या तू चाहता है कि गरीब आदमी का जीवन स्तर न सुधरे अगर सुधर जाए तो मंहगाई इस हद तक बढ़ा दो कि उस साले नंगे भूखे को उसकी औकात याद आ जाए और फिर वह अपनी सही जगह पर पहुँच जाए। ऐसे लोगों कि सोच अमेरिकी नव उपनिवेश वादी है जो ये चाहते हैं कि गरीबी यथावत बनी रहे ताकि कस कर शासन करके दोहन करा जा सके और कोई विरोध न हो।
जय जय भड़ास
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