कार्बन उत्सर्जन में स्वैच्छिक कटौती की मात्रा तय करने की समय सीमा पर सहमति !!

दक्षिण अफ्रीका, ब्राज़ील चीन औऱ भारत के समूह बेसिक ने कार्बन उत्सर्जन में स्वैच्छिक कटौती की मात्रा तय करने की समय सीमा पर सहमति जताई है, लेकिन उनका कहना है कि इस मुद्दे पर किए गए वादे क़ानूनी तौर पर बाध्यकारी नहीं है ।

बेसिक समूह की यहां सात घंटे लंबी चली दूसरी मंत्री स्तरीय बैठक के बाद चारों देशों ने संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा कि बेसिक देश वर्ष 2020 तक उत्सर्जन में स्वैच्छिक कटौती करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की पहले ही घोषणा कर चुके हैं। बेसिक देशों के मंत्रियों की कार्बन उत्सर्जन में कटौती के स्वैच्छिक कदमों के बारे में यूएनएफसीसीसी को 31 जनवरी तक सूचित करने की मंशा है।

कोपेनहेगन सम्मेलन के बाद जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर प्रमुख विकासशील देशों का साझा रुख तय करने के लिए हुई इस मंत्री स्तरीय वार्ता के बाद पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने संवाददाता सम्मेलन में यह संयुक्त वक्तव्य पढ़कर सुनाया। बेसिक देशों के मंत्रियों का यह संयुक्त वक्तव्य ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने खबर दी है कि मनमोहन सिंह कोपेनहेगन समझौते के तहत उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्य और जलवायु परिवर्तन से निपटने के कदम 31 जनवरी तक बताने की संयुक्त राष्ट्र की समय सीमा खारिज कर चुके हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने कहा है कि सिंह 31 जनवरी तक लक्ष्य बता देने के बारे में डेनमार्क के प्रधानमंत्री लार्स लोके रेसमुसेन तथा संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के बार-बार जोर देने से खास तौर पर नाखुश हैं। मंत्री स्तरीय वार्ता के बाद संवाददाता सम्मेलन में जब रमेश का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया गया तो उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की फिलहाल कोई जानकारी नहीं है कि प्रधानमंत्री ने समय सीमा को खारिज किया है या स्वीकार किया है।

बेसिक समूह की इस बैठक में रमेश के अलावा ब्राजील के पर्यावरण मंत्री कारलोस मिंक, दक्षिण अफ्रीका की जल तथा पर्यावरण मामलों की मंत्री बुयेलवा सोनजिका और चीन के राष्ट्रीय विकास तथा सुधार आयोग के उपाध्यक्ष शे झेनहुआ मौजूद थे। रमेश ने कहा कि बेसिक देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने का प्रण किया है। हमारे बीच अगली बैठक अप्रैल अंत में केपटाउन में होगी। कोपेनहेगन के बाद के दौर की मेक्सिको में दिसंबर में होने वाली अंतरराष्ट्रीय वार्ता से पहले बेसिक देश छह बैठक करने पर सहमत हुए हैं।

उन्होंने कहा कि हम सभी ने (बेसिक देशों ने) कोपेनहेगन करार को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभाई थी। हमने सर्वसम्मति ने स्वीकार किया है कि हम यूएनएफसीसीसी के तहत दो स्तर की बातचीत जारी रखेंगे। दो स्तरीय बातचीत के मायने दीर्घकालिक सहयोगात्मक कदम पर अस्थायी कार्य समूह (एडब्ल्यूजी-एलसीए) और क्योटो संधि के तहत उत्सर्जन में कटौती की अमीर देशों की प्रतिबद्धता बढ़ाने के लिए अस्थायी कार्य समूह (एडब्ल्यूजी केपी) की वार्ता से हैं।

बेसिक देशों के मंत्रियों ने कहा कि कोपेनहेगन समक्षौता कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं, बल्कि एक राजनीतिक करार है। गौरतलब है कि चीन ने कार्बन उत्सर्जन के स्तर में 2020 तक 40 से 45 फीसदी, भारत ने 20 से 25 फीसदी, ब्राजील ने 36 फीसदी और दक्षिण अफ्रीका ने 34 फीसदी की स्चेच्छिक कटौती करने की घोषणा की है।

रमेश ने कहा कि हमने आज शेष विश्व को पुरजोर तरीके से यह संदेश दे दिया है कि हम (बेसिक देश) यूएनएफसीसीसी के तहत दो स्तरीय वार्ता सफलता से पूरी करने की मंशा रखते हैं। चीन से आए झेनहुआ ने कहा कि वह रमेश के विचारों से सहमति रखते हैं। ब्राजील के पर्यावरण मंत्री मिंक ने कहा कि कोपेनहेगन शिखर वार्ता के विफल होने का कारण अमीर देशों का स्वार्थी रवैया था। इस रवैये के खिलाफ बेसिक देशों ने एकजुटता बरतने का प्रण किया है। हमने आपस में वैज्ञानिकी सहयोग करने का फैसला किया है।

दक्षिण अफ्रीकी मंत्री सोनजिका ने जलवायु परिवर्तन पर बातचीत का नेतृत्व करने के लिए भारत का शुक्रिया अदा किया और कहा कि कोपेनहेगन समझौता एक राजनीतिक करार है और हम इसे बहुपक्षीय बातचीत में तब्दील करेंगे। हम सैद्धांतिक तौर पर इस बात पर सहमत हुए हैं कि अमेरिका और यूरोप को भी जलवायु परिवर्तन की वार्ता में शामिल किया जाए।

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