दोहे और उक्तियाँ !!



लोभ  सरिस  अवगुण नहीं,  तप नहीं  सत्य समान।


तीर्थ  नहीं  मन  शुद्धि  सम,  विद्या सम  धनवान।।


(कबीर)

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