लश्कर ए तैयबा द्वारा 50 पैरा ग्लाइडरों की खरीदारी को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क रहने को कहा है। मंत्रालय को मिली सूचना के मुताबिक, जर्मनी समेत अन्य यूरोपीय देश या फिर चीन से खरीदे गए इन पैरा ग्लाइडिंग उपकरणों की सहायता से लश्कर के आतंकी तटीय इलाकों या फिर अन्य संवेदनशील संस्थानों पर हमला कर सकते हैं।
इसके साथ ही, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी एयरपोर्ट को भी सतर्कता की सलाह जारी की है। इसमें कहा गया है कि सार्क देशों को जाने वाली उड़ानों में एयर मार्शल तैनात किए जाएं। मंत्रालय ने इन देशों को जाने और वहां से आने वाली उड़ानों में से किसी एक के हाईजैक होने का अंदेशा जाहिर करते हुए इन देशों के सुरक्षा अधिकारियों से भी संपर्क किया है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ‘यह सूचना विश्वसनीय सूत्र से आई है। इसको ध्यान में रखते हुए सभी सुरक्षा एजेंसियों, एयरपोर्ट प्रशासन, राज्य सरकारों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।’ इस अधिकारी के मुताबिक, यह सूचना क्योंकि 26 जनवरी के पहले आई है इसलिए इसकी संवेदनशीलता को नकारा नहीं जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, सभी पेट्रोलियम उत्पादन इकाइयों के साथ ही सभी तटीय राज्यों को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ‘सार्क देशों को जाने और वहां से आने वाले सभी विमानों को लेकर सतर्क रहने को कहा गया है।
यह कहा गया है कि इन देशों से आने वाले सभी उड़ानों के सभी यात्रियों की जांच हवाई जहाज में चढ़ते हुए सीढ़ियों पर भी की जाए।’ सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों ने इस तरह की शंका 20 जनवरी को दी थी। इसमें शंका जताई गई थी कि हवाई जहाज के अपहरण के साथ ही लश्कर के आतंकी पैराग्लाइडिंग के सहारे आत्मघाती हमला कर सकते हैं। इसके बाद अगले दिन सभी राज्यों को यह सलाह जारी कर दी गई थी।
अलबत्ता, हवाई जहाज से पैराग्लाइडिंग उपकरण के सहारे हमला कामयाब होने को लेकर मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शंका जाहिर करते हुए कहा कि खासा कठित है। पैराग्लाइडिंग के लिए एक हजार फीट की ऊंचाई चाहिए। इतनी ऊंची कोई बिल्डिंग भारत में शायद ही हो। इसके साथ ही ग्लाइडर खासा बड़ा और रंग-बिरंगा होता है।
अगर यह कहीं उतरता है तो यह न केवल दूर से देखा जा सकता है बल्कि इसकी रफ्तार काफी धीमी होती है, जिससे स्थानीय पुलिस और प्रशासन आक्रामक अभियान चलाकर इसे आसमान में ही उड़ा सकता है। प्रतिबंधित क्षेत्रों में इससे हमला लगभग नामुमकिन है। संभव है कि रात के समय ऐसी कोई कोशिश हो। लेकिन जिस स्तर पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम और अन्य एजेंसियां सतर्क है, उसे देखते हुए यह भी मुश्किल कार्य होगा।
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