लाल किला विस्फोट मामले में सजा काट चुके तीन पाकिस्तानी आतंकी शुक्रवार को पुलिस को चकमा देकर फरार हो गए। तीनों को मेडिकल जांच के लिए दिल्ली के गुरुनानक नेत्र अस्पताल ले जाया गया था। विदेशी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर तीनों की तलाश शुरू कर दी गई है। तीनों को पकड़ने के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। पुलिस ने इन तीनों पर 50-50 हजार रुपए का इनाम रखा है।
दिल्ली के उत्तरी क्षेत्र केसंयुक्त पुलिस आयुक्त करनैल सिंह ने बताया कि मेडिकल जांच के बाद आतंकियों को शेल्टर होम ले जाया जा रहा था। कोतवाली इलाके में ये तीनों चकमा देकर फरार हो गए। उन्होंने दावा किया कि तीनों आतंकी पुलिस की अभिरक्षा में नहीं थे बल्कि फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन के अधिकारियों (एफआरआरओ) के सुपुर्द थे।
सूत्रों का कहना है कि तीनों आतंकियों को मेघालय पुलिस के तीन कर्मियों की सुरक्षा में अस्पताल लाया गया था। सुरक्षा एजेंसियां इनसे पूछताछ क रने में जुटी हैं। सजा पूरी करने के बाद तीनों आतंकियों को लामपुर (नरेला) में स्थित शेल्टर होम में रखा गया था, जिसकी जिम्मेदारी मेघालय पुलिस के हवाले ही है।
एफआरआरओ के अजय चौधरी का कहना है कि पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने की जिम्मेदारी उनके विभाग की नहीं है। उनका कहना है कि पाकिस्तानी नागरिकों को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा की देखरेख में पाकिस्तान के सुपुर्द किया जाता है।
इसके पूर्व दिल्ली पुलिस ने तीनों आतंकियों को जीबी पंत अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए ले जाने की बात कही थी लेकिन अस्पताल के मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट शशि गुरुराज के इनकार करने पर पुलिस इससे पलट गई और गुरुनानक नेत्र अस्पताल ले जाने की बात करने लगी।
28 अक्टूबर 2000 में दक्षिणी दिल्ली के हौजखास इलाके से पुलिस ने अब्दुल रज्जाक, रफाकत उर्फ रिजवानुल्लाह और मो. सादिक को 15 किलो मादक पदार्थ व विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार किया था। पूछताछ में लाल किले के पास हुए धमाके में भी इनके शामिल होने का खुलासा हुआ। मामले में तीनों को पांच-पांच वर्ष की सजा सुनाई गई थी, जो तीन माह पहले ही खत्म हुई थी।
1 comment:
पुलिस से उम्मीद भी क्या की जा सकती है.
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