दोहे और उक्तियाँ !!



जहां क्रोध  तहां काल है, जहां लोभ  तहां पाप।


जहां दया  तहां धर्म है,  जहां क्षमा  तहां आप।।


(गोस्वामी तुलसीदास)

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