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ज्योतिषाचार्य विजय भूषण वेदार्थी ने बताया कि कंकण सूर्य ग्रहण के लिए ग्वालियर-चंबल संभाग में सूतक 14 जनवरी की रात्रि 11 बजे से लग जाएगा। सूर्य ग्रहण देश में 15 जनवरी की सुबह 11 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक दिखाई देगा। ग्वालियर-चंबल संभाग में ग्रहण का स्पर्श 15 जनवरी की सुबह 11:50 बजे और मोक्ष दोपहर 3:15 बजे तक होगा। अधिकतम ग्रास 59 प्रतिशत होगा। यह ग्रहण उत्तराषाढ़ नक्षत्र एवं मकर राशि में घटित होने के कारण इस नक्षत्र एवं मकर राशि वाले व्यक्तियों को विशेष कष्टकारक रहेगा।
ज्योतिर्विद डा.एचसी जैन का कहना है कि ग्रहण काल में सूर्य कंगन की आकृति में दिखाई देता है, इसलिए इसे कंकण सूर्य ग्रहण कहते हैं। सूर्य ग्रहण शुक्रवार को पड़ने तथा अन्य ग्रहों के वक्री चलने से एक माह के भीतर तेज हवा के साथ वर्षा और ओले गिरने की संभावना है। सूर्य-केतु तथा गुरु-शनि का सडाष्टक योग अन्य ग्रहों के साथ वक्री योग बनने से राजनीति में उठापटक देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि सूर्यग्रहण का विपरीत असर एक माह तक रहता है। यदि इस अवधि में बारिश हो जाती है तो असर स्वत: समाप्त हो जाता है यानी चिंता करने की जरूरत नहीं। उन्होंने कहा कि भगवान भास्कर के उत्तरायण में जाने के कारण देवताओं के भी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं, चूंकि इस बार 17 दिसंबर से 3 फरवरी तक शुक्रास्त चल रहा है, इसलिए मांगलिक कार्य नहीं हो सकता है।
ज्योतिर्विद अनिल महाराज, ज्योतिर्विद जीएम हिंगे एवं बसंतदयाल अग्रवाल का कहना है कि 15 जनवरी को इसी सदी का सबसे बड़ा कंकण सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। इसके बाद इतना लंबा कंकण सूर्य ग्रहण 1033 वर्ष बाद यानी 24 दिसंबर 3043 को दिखाई देगा। कंकणाकृति सूर्य ग्रहण 2019 में भी देखने को मिलेगा। इस प्रकार का सूर्य ग्रहण सन् 1890 में देश में दिखाई दिया था।
चिकित्सकों के अनुसार सूर्य ग्रहण को सावधानी से देखना चाहिए अन्यथा आखों में परेशानी पैदा हो सकती है। वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. पुरेन्द्र भसीन ने बताया कि विश्व में हजारों लोग सूर्य ग्रहण के कारण दृष्टि क्षय से पीड़ित हैं। सूर्य ग्रहण की अवस्था में हानिकारण अल्ट्रावायलेट एवं इंफ्रारेड किरणों उत्सर्जित होती हैं, जो आंख के पर्दे के संवेदनशील एवं दृष्टि के लिए महत्वपूर्ण मैक्यूला को जला देती हैं। इसमें प्रारंभ के कई घंटे तक किसी भी प्रकार के दर्द या तकलीफ का अनुभव नहीं होता है परंतु कुछ घंटे के बाद नजर हमेशा के लिए कम हो जाती है, जिसे किसी भी प्रकार से ठीक नहीं किया जा सकता है। डा. भसीन ने बताया कि सूर्य ग्रहण को धूप के चश्मे, धुंधले कांच या एक्स-रे फिल्म से नहीं देखना चाहिए। ग्रहण देखने के लिए विशेष एल्यूमिनाइज्ड माइलर फिल्म का उपयोग किया जाता है।
पं. जेपी नारौलिया ने बताया कि 15 जनवरी को सुबह मंदिरों में होने वाली मंगला आरती नहीं होगी। ग्रहण खत्म होने के बाद संध्या आरती के साथ मंदिरों के पट खुलेंगे। लोगों को मंदिर जाकर देवी-देवताओं के दर्शन नहीं करना चाहिए। सूतक शुरू होने से पहले घरों में भगवान की मूर्ति या चित्र को साफ कपड़े से ढक देना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य नरेन्द्रनाथ पाण्डेय ने बताया कि ग्रहण का सूतक लगने से पहले ही गर्भवती महिला के पेट पर गेरू का लेप करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर ग्रहण का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाएं घर के बाहर न निकलें। जिन राशियों के लिए यह योग अशुभ है उन जातकों को ग्रहण काल में आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ, महामृत्युंजय जप, तुला दान करना लाभप्रद रहेगा।
राशियों पर प्रभाव (एक माह तक)
मेष सुख
वृष अपमान
मिथुन मृत्यु तुल्य कष्ट
कर्क दाम्पत्य में बाधा
सिंह सुख
कन्या चिंता
तुला कष्ट
वृश्चिक धन लाभ
धनु हानि
मकर दुर्घटना
कुंभ हानि
मीन लाभ
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