पिछले साल अक्टूबर में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा बीटी बैंगन को किसानों तक पहुंचाने का निर्णय लेते ही कार्यकर्ताओं और किसानों ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। विरोध की वजह से सरकार को अपने निर्णय को स्थगित कर वैज्ञानिकों, कार्यकर्ताओं, किसानों और नागरिकों के साथ सार्वजनिक विचार-विमर्श शुरू करना पड़ा। इस खाद्य फसल बीज को किसानों में वितरित करने की मंजूरी जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी (जीईएसी) ने दी थी।
वैसे तो दिल्ली सरकार सार्वजनिक विचार-विमर्श से दूर ही रही है, लेकिन सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर अपनी चिंताएं जताई हैं। एक रोचक बात यह है कि बीटी बैंगन का खुले आम विरोध करने वाले सभी राज्य गैर-कांग्रेस शासित हैं। दिल्ली इसमें एक मात्र अपवाद है।
बीटी बैंगन को महाराष्ट्र हाइब्रीड सीड्स कंपनी ने अमेरिका की कंपनी ट्रांसनेशनल मोनसैंटो के साथ मिलकर विकसित किया है।
इस प्रक्रिया के तहत सब्जियों की प्रत्येक कोशिका में कीटाणुनाशक पदार्थ पैदा करने के लिए उनके डीएनए या जेनेटिक कोड में मिट्टी के एक बैक्टीरिया ‘बैसिलस थुरिंगजिनासिस’ के एक जीन का प्रवेश कराया जाता है।
सिद्धांतत: बीटी बैंगन की खेती से कीटाणुनाशक का उपयोग और सब्जियों की नुकसानी कम होगी।चिंता : अध्ययनों के अनुसार, जेनेटिकली मॉडीफाइड फसलों का मनुष्य और जानवरों पर विपरीत असर पड़ सकता है।
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