कल हमारे देश का ६०वाँ गणतंत्र दिवस था, राष्ट्रीयता से ओत प्रोत कुछ भी हो तो अच्छा ही लगता है सो हम भी भारतीय गणतंत्र में गण के तंत्र का पता लगाने सड़क पर निकल आये।
कुछ तस्वीरों से गणतंत्र को आपके सामने रखने का प्रयास कर रहा हूँ, सोचनीय हूँ कि "REPUBLIC DAY" के बजाय हमारे देश में "PUBLIC DAY" कब मनेगा, या फिर हमारे देश के मजदूर किसान के रक्त से सींचे और ज़मा किये देश को खोखला तंत्र इस पर्व के बहाने खाली करता रहेगा।
जरा कूड़े के ढेर को देखिये, गणतंत्र दिवस से एक दिन पूर्व यहाँ पर एक शानदार सैलून हुआ करता था मगर बलि चढ़ गया किसके ?
क्या ये गणतंत्र है जिसमें आम लोगों से रोजी रोटी कुछ यूँ छीनी जाती है।
या फिर गणतंत्र का एक रूप ये है जिसमें धार्मिक आस्था को सड़क पर कुछ यूँ बेचा जाता है।
आटे की चक्की पर वृद्ध का गणतंत्र, कर्मण्ये वाधिका रस्ते !!!
सडक पर मोची का गणतंत्र, कर्मण्ये वाधिका रस्ते !!
नौनिहालों का गणतंत्र, पुत्र होने की जिम्मेदारी को निभाते हुए। आज छुट्टी है सो पिता के चाय कि दूकान में थोडा सा हाथ बंटा दें।
या फिर विदेशी मेहमानों के आगे नक्कारखानों की तूती !
क्या हमारे देश में "PUBLIC DAY" कभी मनाया जाएगा।
7 comments:
बहुत अच्छा प्रश्न है हमारे यहाँ PUBLIC DAY कब मानेगा ?
शायद तब तक नहीं जबतक ये नेता न चाहें और जनता स्वार्थ को छोड़कर जागरूक न हों !! बहुत ही अच्छा प्रश्न है ......
achcha prashna uthaya hai.
Pryaas achhaa hai .......
bahut achcha.
rajnish ji..savaal bahut saare he..magar me manataa hu ab javaab dhundhane ke prati ham sab ko doud lagaani chahiye.
this is realy very sad that we become emotion less .....
we must help them
में अमित जी की बातो से सहमत हूँ की क्यों ना खुद ही एक सही शुरुवात की जाएँ ...
जय हिंद जय भारत.
मेरे विचार से पहला कदम तो सच को अपनाएं झूठ ना बोले|
सत्यमेव जयते
आपका प्रश्न बहुत ही मन को घायल करता हो और यह ६० वीं नहीं ६१ वीं गणतंत्र हैं मुझे आज आज भी प्रथम गणतंत्र दिवस के दृश्य आँखों में बसे ह्युए हैं
हमें गणतंत्र गुणतंत्र चाहिए आज का गणतंत्र सत्यमेव जयते नहीं झूठा देव की जय हो
विदेशी होने के नाते अधिक तो नहीं वर्णन कर सकती
जो भी है हूँ भारत भू की बेटी और भारत के जन गगन मेरी परिवार
धन्यवाद
गुड्डो दादी चिकागो से
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