सुमन जी से निवेदन है कि वे सरकार द्वारा उत्पीड़ित करे जा रहे अपने उन साथियों के बारे में लिखें जैसा कि तेज तर्रार अंदाज में हमारे डॉ.रुपेश श्रीवास्तव जी ने लिखा था। हमें कम से कम पता तो चले कि उनके साथ क्या हो रहा है। हम उनकी आवाज़ को हर जगह पहुँचा देना चाहते हैं इसलिए कृपया आगे की जानकारी देते रहिये। हम सब थोड़े अपनी अपनी रोजी-रोटी में उलझे हैं इसका अर्थ ये नहीं है कि लोग हमें निरा शिखंडी का अवतार समझ लें हम भड़ासी हैं जो ये मानते हैं कि पहले कलम से लिख कर बात करो यदि बात न बने तो कलम की स्याही को सामने वाले के मुंह पर उलट दो और अगर फिर भी न माने तो फिर आख़िरी उपाय बचता है कि कलम को उसके पिछवाड़े घुसा दिया जाए ताकि तुरंत उसे समझ आ जाए कि गलत जगह पंगा ले लिया है
जय जय भड़ास
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