ओबामा ने लास वेगास चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और कन्वेशन एंड विजिटर्स अथॉरिटी के कार्यक्रम में कहा ‘मैंने स्टेट ऑफ द यूनियन के भाषण में यही बात कही थी कि दूसरे देश नंबर वन पर आने की कोशिश कर रहे हैं, दूसरे नंबर पर बने रहने की नहीं।’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने मिसाल गिनाते हुए कहा, ‘ चीन 40 हाई स्पीड रेल लाइनें बना रहा है और हम सिर्फ एक पर काम कर रहे हैं। ऐसा ही रहा तो हमारे पास भविष्य के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं होगा।’
उनके मुताबिक यदि भारत या दक्षिण कोरिया हमसे ज्यादा वै™ानिक व इंजीनियर तैयार कर रहे हैं तो अमेरिका उन्हें पीछे नहीं छोड़ सकेगा। ओबामा ने आह्वान किया, ‘भारत, चीन और जर्मनी प्रदूषण मुक्त ऊर्जा की टेक्नोलॉजी सहित विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि हम सब—डेमोक्रेट, रिपब्लिकन, सरकारी अधिकारी और बिजनेस लीडर गंभीरता के साथ आगे बढ़ने के समान उद्देश्य के लिए काम करेंगे।’
ओ बामा का डर जायज है। अमेरिका में हर साल 70 हजार इंजीनियर निकलते हैं जबकि चीन व भारत में यह संख्या क्रमश: छह व साढ़े तीन लाख है। अमेरिका की फौजी ताकत उसकी नायाब मिसाइल टेक्नोलॉजी पर टिकी है। पर उसके डिफेंस साइंस बोर्ड का कहना है कि देश को अगले कुछ वर्षो में 22 लाख वैज्ञानिकों व इंजीनियरों की कमी का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में नई मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करना तो दूर, मौजूदा प्रणाली को बनाए रखना ही मुश्किल हो जाएगा। वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम के 2009 के सर्वे के मुताबिक गणित व विज्ञान की शिक्षा के मामले में भारत व चीन, अमेरिका से काफी आगे हैं। अन्य क्षेत्रों में 133 देशों की इस रैंकिंग में चाहे अंतर हो, लेकिन अंकों में अंतर अधिक नहीं है ।
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