दुष्ट राक्षस!! किन सत्ताइस मन्दिरों को तोड़ा गया था?

दुष्ट राक्षस!! यही तो प्रमाण हैं तुम्हारी दानवी हरकतों के कि तुमने इंसानो में घुस कर ऐसे निशान छोड़े हैं कि सैकड़ों साल गुजर जाने के बाद भी हिन्दू मुस्लिम एक न हो सकेंगे क्योंकि इस तरह के जख्मों को तुम राक्षस कुरेदते रहोगे। ये पत्थर क्या ये बताता है कि किन सत्ताइस मन्दिरों को तोड़ा गया था?इस बात का कोई उत्तर नहीं है यदि है तो जाकर पुरातत्व विभाग से वो दस्तावेज लेकर भड़ास पर प्रकाशित कर। हम दावे के साथ कहते हैं कि जिसमें दम हो वो इस बात की जांच करवा ले कि जिस समय इस शिलालेख को वहाँ लगाया गया होगा पुरातत्त्व विभाग में कोई न कोई जैन राक्षस ऊंचे पद पर होगा जिसकी ये करतूत है। ये पत्थर कुतुबमीनार बनाने वालों ने तो नहीं लगाया है चाहे वो कोई भी रहा हो। यही तो तुम राक्षसों की चालें हैं जिनकी हम पोलखोल कर तुम्हारी असल पहचान बता रहे हैं। अब तू ही अपने नंगे असाधुओं से पूछ कर बता दे कि इस मीनार के निर्माता ने किन जैन मंदिरों को तोड़ कर सामग्री प्राप्त करी थी और वे जैन मंदिर कहां-कहां स्थित थे? तुम अपनी मक्कारी का मायाजाल अब भड़ास पर नहीं फैला सकते अब लोग तुम्हें पहचानने लगे हैं राक्षसों!!! ये तथ्य कितना भ्रामक है और नागरिक विद्वेष फैलाने वाला क्या ये किसी बेवकूफ़ को भी समझ में नहीं आता लेकिन आज तक किसी ने इस बात पर किसी सरकार से कुछ नहीं पूछा कि इस तरह की विद्वेष फैलाने वाली बात को पुरातत्त्व विभाग ने क्यों लिख रखा है,अरे दुष्टों !! हम तुम्हारी मायावी चालाकियों को उजागर कर रहे हैं भड़ास पर ही तुम जैसे राक्षस सदबुद्धि पाएंगे जैसे विभीषण जी को महाराज शनि ने दी थी और तुम्हारा आदर्श रावण जो शिवभक्ति का ढोंग करके माया के पाप के द्वारा सारी दुनिया पर राज करने की इच्छा लिये अपनी कुबुद्धि से महाराज राम के हाथों मारा गया।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

4 comments:

Suman said...

ये तथ्य कितना भ्रामक है और नागरिक विद्वेष फैलाने वाला क्या ये किसी बेवकूफ़ को भी समझ में नहीं आता लेकिन आज तक किसी ने इस बात पर किसी सरकार से कुछ नहीं पूछा कि इस तरह की विद्वेष फैलाने वाली बात को पुरातत्त्व विभाग ने क्यों लिख रखा है...........nice..................

अमित जैन (जोक्पीडिया ) said...

अरे अनूपमंडलके ल्लुओ अगर तुम में दम है तो ये पता कर के बताओ की जब ये शिला लेलख लगाया गया जब कोन जैन वहाँ अधिकारी था < सिर्फ बकते रहने से कुछ नहीं होगा अक्ल के दुश्मनों , तुम कही भी किसी भी को भोकना शुरू कर दो या उसे भोकते हुए दुष्टराक्षस कहो , कोण तुम्हारी बात सुनेगा , या तो अपनी बातों का प्रमाण दो या हम दावे के साथ कहते हैं_ बोलना छोडदो

अजय मोहन said...

ये बात सचमुच विचारणीय है कि इस तरह नागरिक विद्वेष फैलाने वाला शिलालेख वहां क्यों लगाया है?क्या पुरातत्त्व विभाग के पास कोई प्रमाण है कि निर्माण कार्य में लगी सामग्री किन किन मंदिरों को तोड़ कर प्राप्त करी गयी है? या ये शिलालेख किस आधार पर लगा है?किस उत्तरदायी अधिकारी के आदेश पर यह शिलालेख लगाया गया है या खुद इल्तुतमिश(जो कुछ भी नाम हो उसका) ने लगवाया था?
सैकड़ों सवाल पर उत्तर तलाशने की बजाए एक दूसरे से सिरफ़ोड़ी करो ये सही नहीं है। अमित आप दिल्ली में रहते हैं तो पुरातत्त्व विभाग में एक RTI के तहत ये सवाल डाल दीजिये फिर देखिये क्या होता है
जय जय भड़ास

दीनबन्धु said...

बात खतरनाक है ये सिर्फ़ साजिशन ही करा जा सकता है कि विद्वेष फैलाने वाली बात को इस तरह से कोई विभाग पत्थर पर लिखवा कर लगा दे ताकि कभी हिंदू-मुसलमान इस लकीर को मिटा न सकें।
कभी किसी जैन बंदे ने कुतुब मीनार के खिलाफ़ आवाज क्यों नहीं उठायी,उनके भी तो मंदिर तोड़े गये हैं इस पत्थर के अनुसार...... बस हिंदुओं को उचका दो वही साले सिरफ़ुटव्वल करें....
बढ़िया तरीका है आग लगाने का
जय जय भड़ास

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