हालांकि अभी समग्र वार्ता तक का फासला इतना क़रीब भी नहीं है पर गुरुवार को दोनों देशों के विदेश सचिव दिल्ली में मुलाक़ात करेंगे जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच बातचीत होनी है ।
पकिस्तान के विदेश सचिव सलमान बशीर बुधवार को ही बातचीत के लिए राजधानी दिल्ली पहुँच चुके हैं। विदेश सचिव निरुपमा राव के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तानी दल के साथ विचार विमर्श करेगा ।
नवंबर, 2008 में मुंबई में हुए चरमपंथी हमले के बाद से भारत-पाकिस्तान समग्र वार्ता पर विराम लगा हुआ था। हालांकि बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब हाल ही में पुणे में चरमपंथी हमला हुआ है और इसमें कम से कम 15 लोग मारे गए हैं ।
भारत और पाकिस्तान से विशेषज्ञों की राय यह है कि बातचीत की शुरुआत एक अहम पहल है। हालांकि तत्काल किसी बड़े लाभ या समझौते या बड़े सकारात्मक नतीजे की आस कई विशेषज्ञों को नहीं है ।
कुछ जानकार मानते हैं कि अमरीका के वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं की हाल के समय में दोनों देशों की यात्रा का असर भी दोनों पक्षों पर दिखाई दे रहा है और इसके चलते भी बातचीत की एक स्थिति बनती नज़र आ रही है ।
पर खटास या संबंधों में खिचाव के लिए दोनों के पास वजहें कम नहीं हैं इसीलिए कई लोग बातचीत से एक सीमा से अधिक आशान्वित नहीं हैं ।
पाकिस्तान के विदेश सचिव सलमान बशीर ने कहा है कि भारत के साथ कश्मीर सहित सभी मुद्दों पर बातचीत होगी और बातचीत के लिए पाकिस्तान के विचार बहुत ही स्पष्ट हैं ।
पाकिस्तान के विदेश सचिव ने दिल्ली पहुँचने से पहले लाहौर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “कश्मीर हमारी प्राथमिकता है और दोनों देशों के बीच पानी की समस्या भी बहुत ही अहम है लेकिन हम यह चाहते हैं कि शांति वार्ता फिर से शुरु हो । "
उन्होंने बताया, “मैं खुले दिल के साथ भारत जा रहा हूँ और हम चाहते हैं कि सभी मुद्दों के हल के लिए कोई प्रक्रिया तैयार की जाए । "
उनके मुताबिक आतंकवाद पाकिस्तान और भारत का साझा दुश्मन है और दोनों को मिलकर उससे निपटना होगा और दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भी मिस्र में इस पर सहमति जताई थी ।
हालांकि सचिव स्तर की बातचीत से पहले भारत ने स्पष्ट किया है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत में उसे किसी तीसरे देश का दख़ल स्वीकार्य नहीं है।
समाचार एजेंसियों के अनुसार बीजिंग में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा था कि यदि चीन भारत-पाकिस्तान के रिश्तें को बेहतर बनाने के लिए कोई भूमिका निभाना चाहता है तो पाकिस्तान इसके लिए तैयार है ।उनका ये भी कहना था कि भारत को ये फ़ैसला करना है कि क्या उसे चीन की तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार्य है या नहीं ।
भारत के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि भारत को किसी तीसरे पक्ष का दख़ल स्वीकार्य नहीं है ।
एंटनी का कहना था, "भारत की मूल नीति है कि हमें पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय मामलों में किसी भी अन्य देश का दख़ल स्वीकार्य नहीं है। हमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता मंज़ूर नहीं है । "
पर कुछ जानकार अमरीका के दखल या उसकी दक्षिण एशिया में शांति बहाली की कोशिशों को भी नज़रअंदाज़ न करने की सलाह देते हैं। हाल के दिनों में अमरीकी नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों की भारत और पाकिस्तान यात्राओं ने बातचीत के लिए ज़मीन तैयार करने में मदद की है, ऐसा भी कुछ जानकार मानते हैं ।
भारत ने कहा है कि इस बातचीत को समग्र वार्ता की शुरुआत न माना जाए, लेकिन पर्यवेक्षकों को मानना है कि भारत-पाक रिश्तों में आई ठंडक घटाने में इस बातचीत की अहम भूमिका हो सकती है ।
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