ईश्वर
उसकी सत्ता भूत, वर्तमान और भविष्य में निरन्तर रहती है।
जगत् की परिवर्तनशील घटनाओं के मध्य वही एक अपरिवर्तनशील और निर्विकार है।
संसार की सभी नश्वर वस्तुओं के मध्य वही अविनश्वर है।
यह विश्व दीर्घकालीन स्वप्न के समान है।
यह माया की बाजीगरी है।
वह मायापति है। वह स्वतन्त्र है।
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