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जिस बात से भय लग रहा था कि कहीं हम जैसे लैंगिक विकलांगों के समाज में स्वीकारे जाने पर हमारी पहचान न विकृत हो जाए। आजकल जिस तरह से लैंगिक विकलांगता को एक तीसरा लिंग जताया जा रहा है ये सबसे खतरनाक साजिश है कुछ कुटिल दिमागों की जो कि अपनी विकृत और बीमार मानसिकता को इस तरह से सामने लाकर भोले बन रहे हैं। मुंबई में होने वाली इस तरह की सौंदर्य प्रतियोगिताएं क्या भला कर पा रही हैं ये सवाल कोई नहीं उठाने का साहस करता। स्त्री एवं पुरुष समलैंगिक संबंधों को अपनी सैक्स प्रायोरिटी(काम वरीयता) बता कर रुग्ण कामुकता के लोग अपने लिये समाज में सहानुभूति पैदा कर रहे हैं और साथ में एक जो धूर्तता कर रहे हैं वह है हम जैसे लैंगिक विकलांगों को कुछ पैसों का लालच दिखा
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जय जय भड़ास
2 comments:
दीदी आपने जो लिखा है वह सही है मैं स्वयं इस विषय पर लिखना चाह रहा हूँ।
जय जय भड़ास
यदि सभी लैंगिक विकलांग शिक्षित हो गए तो समाज के तथा कथित ठेकेदारों का अहंकार चोटिल हो जायेगा , साथ में इस पार्कर की पर्तियोग्यता करवाने वाले ,बीमार मानसिकता (homo sexuality )को समाज में अधिकारिक रूप से स्थापित करवाना चाहते है , क्या ये आयोजक अपने माँ ,बाप, बहन , भाई , साले , जीजा , या कोई और रिश्तेदार को homosexual देखना पसंद करेगे , मै आप की बातों का पूर्ण समर्थन करता हू
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