अनोखे चित्रकार एन.डी.एडम से मुंबई की व्यस्तता में दूसरी मुलाकात



कुछ समय पहले जब बड़े भाई श्री अविनाश वाचस्पति मुंबई आए थे तब एक पत्राकार-मिलन हुआ। उस मिलन में भाई सूरज प्रकाश जैसे वरिष्ठ पत्राकारों से लेकर फ़रहीन जैसी युवा पत्राकार ने शिरकत करी थी। भाई महावीर सेमलानी जी के प्रयास से सब कुछ बेहद उत्तम रहा और दिल-दिमाग में अब तक उस मिलन की यादें ताजा हैं। वहीं भाई अविनाश वाचस्पति के साथ आए थे एक अनोखे-अनूठे बुजुर्ग चित्रकार श्री एन.डी.एडम जो कि लोगों को देख कर चंद मिनटों में ही छवि को कागज पर उतार देते हैं। इनकी कला को देख कर सभी लोग सराह रहे थे, श्री एडम ने कई लोगों के उस पत्राकार-मिलन में वहीं बैठे-बैठे चित्र बना डाले। भाई अविनाश की इनसे मुलाकात गोवा में हुए IFFI के फिल्म समारोह में हुई और IFFI की स्मारिका में श्री एडम के बारे में प्रकाशित भी हुआ। पत्राकार मिलन की समाप्ति के बाद मैं ओर फ़रहीन ने पनवेल की राह चल पड़े लेकिन हमारा सौभाग्य था कि अविनाश भाई के साथ ही श्री एन.डी.एडम भी हमारे साथ कुर्ला तक साथ रहे जिससे उनसे बातें करने का अधिक मौका मिला, पता चला कि वे मुंबई के ही एक उपनगर विक्रोली में रहते हैं। यदाकदा फोन पर बातें होती रहीं और कल एक बार उन्हें हमारा प्यार हमारे घर पर खींच ही लाया। लोग कहते हैं कि मुंबई की व्यस्तता में सब खो जाते हैं लेकिन यदि दिल में प्यार हो तो मुलाकातें होती हैं और सुख-दुःख बांटने का रिश्ता बना रहता है।
जय जय भड़ास

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