12 साल में 2 लाख किसानों ने आत्महत्याएं की है

किसान आत्महत्याओं के मामले में सबसे आगे है महाराष्ट्

राष्ट्रीय अपराध लेखा ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1997 से अबतक कुल 1,99,132 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। जबकि 2008 में 16,196 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं।

जाने माने पत्रकार पी साईनाथ ने ‘द हिंदू’ में प्रकाशित अपने लेख में भी यह खुलासा किया है कि 2008 में 5 बड़े राज्यों-महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जिन्हें ‘आत्महत्या-क्षेत्र’ कहा जाता है, में सबसे ज्यादा 10,797 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। यानि 2008 में देश भर से जिन 16,196 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं, उसका 66.7 प्रतिशत हिस्सा अकेले ‘आत्महत्या-क्षेत्र’ से है। इसमें भी महाराष्ट्र सबसे आगे है, जहां 3,802 किसानों ने मौत को गले लगाया हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 1997 से अब तक 41,404 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। यह देशभर में हुई कुल किसान आत्महत्याओं की संख्या का 1/5वां से अधिक भाग है।

राष्ट्रीय अपराध लेखा ब्यूरो की यह रिपोर्ट कहती है कि 1997 से 2002 के बीच ‘आत्महत्या-क्षेत्र’ से 55,769 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। जबकि 2003 से 2008 के बीच यह आकड़ा 67,054 तक पहुंच गया। जिसमें किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं में औसतन सलाना 1,900 की बढ़ोतरी दर्ज हुई। सालाना औसत के मद्देनजर 2003 से हर 30 मिनट में एक किसान आत्महत्या करता है। यह रिपोर्ट कहती है कि हालांकि 2007 के मुकाबले आत्महत्याओं में थोड़ी कमी तो आई है, मगर कोई उल्लेखनीय बदलाव दिखाई नहीं देता है।

मद्रास इंस्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट स्टडीज से जुड़े रहे जानेमाने अर्थशास्त्री प्रोफेसर के नागराज कहते हैं कि ‘‘अगर 2008 में 70,000 करोड़ रुपए के कर्ज की माफी और खेती के लिए दी जाने वाली सहायता के बाद यह हालात है तो सूखाग्रस्त 2009 के बाद के हालात तो और भी भयावह हो सकते हैं। कुल मिलाकर किसानों की यह समस्या बेहद गंभीर हो चुकी है।’’
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शिरीष खरे, संचार विभाग, चाइल्ड राइटस एण्ड यू, मुंबई.


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Shirish Khare
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I believe that every Indian child must be guaranteed equal rights to survival, protection, development and participation.
As a part of CRY, I dedicate myself to mobilising all sections of society to ensure justice for children.

2 comments:

हरभूषण said...

गहरे आंकड़े खोज निकाले लेकिन इससे किसी शर्म आने वाली है शिरीष भाई?
जय जय भड़ास

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

रजुआ और बलुआ इधर कभी आये क्या,
हमारे देश कि समस्या और इसके निराकरण पर तंत्र कितना उदासीन है इसका सबूत है ये.
जय जय भड़ास

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