आज की होली
होली एक रंगीन त्यौहार है .... हर गम को खा जानेवाला । खुशियाँ बरसाने वाला । फुल खिलाने वाला । मुस्कान लाने वाला । सपने दिखाने वाला । साल भर इन्तजार कराने वाला । आजादी और जिन्दादिली का प्रतिक ।बचपन से मुझे होली का पर्व काफी पसंद है .... पर वो हरकते नही जो कुछ लोग करते है । शराब पीकर ऐसे इतराते है जैसे किसी पर बहुत बड़ा एहशान कर दिया हो । सच दारू ने तो होली का मजा ही ख़राब कर दिया है । ये भी सच है की सबकी अपनी जिंदगी है ,वो चाहे जैसे करे पर इसका मतलब यह तो कतई नही है की वो दूसरों का नुकशान कर सकते है । होली के दिन मुझे बाहर निकलने में डर लगता है और इसलिए नही की रंगों से नफ़रत है बल्कि बाहर पीकर चलते हुए लोगों से डर लगता है । वे उस हालत में कुछ भी कर सकते है .....बड़ा डर लगता है ।मेरी होली साफ़ सुथरी होती है । कोई जबरदस्ती नही ..... प्यार का पर्व है भाई , जबरदस्ती का नही ।गम को भुलाने का त्यौहार है न की दारु पीकर लुढ़क जाने का और गाली बकने का । ऐसी होली ..... तो होली है ही नही ,तमाशा है ।इतना सुंदर त्यौहार है .... सुन्दरता गायब नही होनी चाहिए वरन कोई मतलब ही नही रह जायेगा । कुछ लोग इसके मूल उद्देश्य से वाकिफ नही है , उन्हें यह एहसाश कराना ही होगा । हम अपनी विरासत को यूँ ही बरबाद होते नही देख सकते ......
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2 comments:
होली ही क्या सभी पर्वों की मूल भावना तो आधुनिकता की अंधी दौड़ में न जाने कहां गुम हो गयी है। बस हमारी कोशिश रहेगी कि हम भड़ास के देसज मंच पर पर्वों और परंपराओं को जीवंत रखें। आप सभी को होली व ईद की हार्दिक शुभकामनाएं
जय जय भड़ास
हमारी सभ्यता और संस्कृति के कारण ही त्यौहार हैं, अगर देसज होना आधुनिकता पर कालिख है तो नि:संदेह त्यौहार का दिखावा करना संस्कृति का मजाक.
चलिए हम भारतीय बने रहें.
अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व करें.
जय जय भड़ास
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