जब बात आती है अखबार की तो आमजन सिर्फ़ इतना जनता और सोचता है की पत्रकार ख़बर लिखते हैं और हम पढ़ लेते हैं, और इस कल्पना से आज तक लोग जुदा नही हुए मगर क्या सिर्फ़ इतने से अखबार का काम निबट जाता है।
घर जाने को स्टेशन पहुंचा तो रात के एक बजने वाले थे, ट्रेन आने में देरी थी सो स्टेशन पर चहल कदमी कर रहा था जब अनायास ही इस दृश्य ने मेरा ध्यान अपनी और खींचा। अखबार से लगाव और लिप्तता होने के कारण जा पहुंचा इन के बीच। हलकी फुल्की बातें भी की मगर अखबार के इन वीर सेनानी के पास समय कहाँ था। अगले खेप के लिए फ़िर से तैयारी में जो जाना था।
1 comment:
fantasic....
Post a Comment