राजीव माहेश्वरी एक और पाखंडी

अबे कीड़े डा.रूपेश की लिखी इस पोस्ट को देख ताकि तुझे पता चले कि तेरा बाप संजय सेन कल तक इसी गाली देने वाले डाक्टर की प्रशंसा करता था अगर लालची बनिये ने पोस्ट हटा दी हो तो चित्र में देख.......
http://bhadas.blogspot.com/2008/12/blog-post_7113.html
अगर आप सबको इन जैसे सफ़ेदपोश हरामी ब्लागर मिलते हैं तो उनके लिंक हमें बताएं ताकि उन्हें भड़ास के द्वारा नंगा करा जा सके, हम तो बुरे कहे गये लोग हैं ही लेकिन तुम पाखंडियों की शराफ़त की धोती जरूर फाड़ेंगे कमीनो......।
इस धूर्त को इसके आगंतुक मेहमान गब्बर लगते हैं

आज मेरे मन में एक विचार आया है कि मुखौटाधारी पाखंडियों की हम अपने पेज पर बाकायदा लिंक लगायें और दुनिया को बताते चलें कि कौन कितना लोकतांत्रिक सोच रखता है। इन्हें हम इनके कमीनेपन के अनुसार क्रमबद्ध करें। यशवंत सिंह और संजय सेन की जमात का एक और कीड़ा लालच की संडास से निकल कर आया है इसने टिप्पणी करी थी जिसे हमारे माडरेटर ने बेखौफ़ प्रकाशित करी है बस उन लोगों की टिप्पणियां प्रकाशित नहीं होतीं जिनके मां-बाप ने नाम तो रखा है पर उन्हें बताने में लज्जा आती है। लीजिये राजीव माहेश्वरी नामके एक और पाखंडी का चेहरा सामने आया है जो डा.साहब को नामर्दी की दवा बेचने की सलाह देते हुए संजय सेन जैसे भड़वे की वकालत कर रहा है। अरे चांडाल! धूर्त! हम सब भड़ासी पागल ही तो हैं अब होने को क्या बचा है आइना दिखा देने वाले को पागल ही कहा जाता है हमें स्वीकार है कि हम सब पागल हैं तुम सब समझदारी का बलगम चाटते रहो। पाखंडी! अगर तुझ नामर्द की दवा तो हम भड़ासी मुफ़्त में कर रहे हैं देखिये इस कीड़े की टिप्पणी........
डा.रूपेश श्रीवास्तव मेने दोनों ब्लॉग देखे है. पर जिस तरह की भाषा / गुस्से का आप प्रयोग कर रहे है. इस का कोएई अच्छा सन्देश नही जाता . येशा लगता है "हिंदुस्तान का दरद" आपके बारे में सही कहा रहा है. आप ने कही भी उनकी बात का खंडन नही किया है ........सिर्फ और सिर्फ गालिया दी है. गाली देने से मन हल्का हो सकता है ...... दिमाग नहीं ....इस लेख को पड़कर लगता है की आप या तो पागल है या फिर हो जायेगे. अगर इन सब से बचाना है तो ब्लागबाजी छोड़कर नामर्दी की दवाई बेचो मेरे भाई.जय भडास ....जय भडास
ये है वो पाखंडी जो अपनी बात खाने में यकीन रखता है

जय जय भड़ास







2 comments:

अम्बरीश अग्निहोत्री said...

ओये पागल कुत्ते,ये तब की बात है जब तू कुत्ता तो था लेकिन पागल सूअर नहीं बना था उससे पहेले तो तुने यशवंत की टट्टी खूब खायी है और सारे छक्कों को खिलाई है अब तुझे वो पसंद नहीं है क्योंकि वो रूपया कम रहा है और तुम टट्टी खा रहे हो !
और गांडू के इस पोस्ट में गाली तो नजर आई नहीं सुधर जा वरना भोंकते भोंकते मर जायेगा

अम्बरीश अग्निहोत्री said...

अभी ये कहेगा की जितने भी ब्लोग्गर है सब संजय ही है कह न कुत्ते मादरचोद

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