मुंबई की लोकल ट्रेन के एक कोच के दरवाजे पर लटक कर यात्रा करने वाले किसी म.न.से. प्रेमी ने जो लिखा है उसे आप भी पढ़िये जिससे पता चलता है कि लोग महाराष्ट्र को जंगल और राज ठाकरे को उस जंगल में शेर मानते हैं। एक मित्र ने ये देख कर बोला कि सचमुच के शेर यदि इस बात को समझ पाते तो शायद शर्म से ही उनकी प्रजाति खत्म हो जाती ये तुलना शेरों के लिये शर्मनाक है।
जय जय भड़ास
2 comments:
majedaar ... aapane mumbai jase megacity ko jangal bata diya.... aapaki koi galati nahi... raj thaakare jaise log mumbai ko jungle se bhi badtar bana sakate hai...jai....jungle ke raaja
भूमिका,
बहुत खूब फोटो लगाया आपने,
देख कर सोचनीय हुआ मगर शहीद उन्नीकृष्णन को याद कर राज...... और ठाकरे..... कोई याद नहीं रहा.
तिरंगे के लिए देश का बेटा आता है, अपनी लिप्सा के लिए कोई भी मुहँ उठा लेता है.
जय जय भड़ास
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