मुंबई की लोकल ट्रेन में दूसरे बच्चे को गोद में लटका कर भीख मांगती एक बच्ची(कोई जरूरी नहीं कि ये गोद वाला बच्चा उसका भाई ही हो, बहुत संभव है कि दोनो बिजनेस पार्टनर हों)
तुम पैदा होते ही कहीं खो क्यों नहीं गये बच्चों........
मुंबई का हर समाचार पत्र पिछले कुछ दिनों से एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर कवरेज दे रहा है वह विषय है सरकारी अस्पताल से नवजात शिशु के चोरी हो जाने का......। उस पर विवाद का कारण है अस्पताल में सुरक्षा की कमी के लिये महानरकपालिका का खुद को जिम्मेदार न मानते हुए म्युनिसिपल कमिश्नर जयराज फाटक(इस आदमी के दिमाग के फाटक बंद हैं भगवान ने अलीगढ़ का ताला स्थायी तौर पर लगा रखा है) ने जो बयान दिया कि बच्चे का खो जाना मोबाइल या गहने खो जाने जैसा है(अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करिये)। इस बेवकूफ़ी भरे बयान के बाद सभी ने विधिवत इनकी लानत-मलानत करी है मुंबई के उच्च न्यायालय के जज अंकल ने भी कहा है कि ये बयान गैरजिम्मेदाराना है, गंदे लोगों चलो पांच लाख रुपये सरकारी खजाने में जमा कराओ और उसका ब्याज मोहन और मोहिनी(बच्चे के महाभाग माता-पिता) को तब तक दो जब तक बच्चा बरामद नहीं हो जाता। अब आप भड़ासी जनों विचार करिये कि बच्चे के खो जाने के इस आर्थिक पहलू के बारे में तो मोहन और मोहिनी ने कभी सोचा भी न होगा। अब आप देखिये कि जो माफ़िया ट्रेन में भिखारी बच्चों के पीछे कार्यरत है उसके लिये यह कितना उत्साहवर्धक न्याय है बस हर साल ऐसे मां-बाप को सायन अस्पताल का रास्ता ही तो दिखाना है। धन्य हो फाटक महाराज और धन्य हो जज अंकल नज्की साहब..........
जय जय भड़ास
4 comments:
अर्थ युग में खोती मानवता क्या अब भी हम इन्सान कहलाने लायक हैं हम दुनिया में अपना झंडा फहराने की बात करते हैं लेकिन हमारे ही महानगरों में बच्चों से भीक मंगवाने का पेशा एक कारोबार का रूप ले चूका है और अब इसकी जड़ें छोटे शहरों में भी संगठित होती जा रही हैं.....कुल मिला कर रुपेश भाई इसमें हम अपनी समाज के प्रति जिम्मेदारी बच नहीं सकते हैं कार्यपलिकाओं से उम्मीद कभी की नहीं जा सकती इसमें उनका भी हिस्सा है हाँ अगर हम समाज को इसके प्रति उनकी जवाबदेही का एहसास करा सके तो शायद कुछ हो सकता है.
आपका हमवतन भाई ....गुफरान......अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद
Garibo ka yahi haal hai sir..mudda uthane ke liye badhai hai..shayad manusyata bach jaye.
rupesh jee ye markwaad hai... everything possible here.
markwaad... means marketwaad sir...
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