गाँव में था, सो सुबह सुबह उठाना मजबूरी। इस मज़बूरी ने प्रकृति की कुछ छटा दिखायी जिसने बचपन को ताजा किया, आप से साझा कर रहा हूँ शायद आपने भी इस भारत को देखा हो ?
गाँव की सुबह, सूर्योदय से पहले ही घरों से निकलता धुंआ मानो सूर्य देव के लिए धुनी रमाई हो ! सुबह हुई, काका ने बैल को निकला खलिहान में बाँधा। खलिहान से आम के मन्न्जरों के बीच से सूर्य नमस्कार !!! सुबह और दैनिक कार्यक्रम की शुरुआत, ठंडी में भी बर्फ बेचने के लिए निकला बेचन !
चाचा का टायर गाड़ी चली हाट। दादा जी खलिहान में पोते और नाती के साथ। सुबह हुई और दूध वाला दूध लेकर चला हाट । अड़हड़ की बलि से झलकती प्रकृति की छटा निराली। कोशिश की इन तस्वीरों से गाँव को दिखाने की, पसंद ना आए तो भी करना नमस्कार इस भारत को।
8 comments:
Hi Rajneesh, reached here through the IndiBlogger Delhi NCR blogger meet page. Looking forward to meet with you and other Delhi bloggers.
Cheers,
Anwin
IndiBlogger.in
रजनीश भाई बेहतरीन है, आधे घंटे से इन तस्वीरों को देखते हुए बस कल्पनाएं कर रही थी कि गांव कैसा होता है मैं कभी किसी गांव नहीं गई बस आप लोगों ने कल्पना को एक धरातल दे रखा है अगर कभी संभव हुआ तो आपमें से किसी भड़ासी के गांव जरूर आना चाहूंगी
जय जय भड़ास
बहुत बढियां
भाई बचपन याद आ गया.....
मुंबई में आकर तो जीवन का हर आयाम पता नहीं कहां खो जाता है बस दौड़ते रहो और इसी दौड़ में एकदिन सरपट निकल लो खुदा के घर....
जय जय भड़ास
Rajnish bhai ghar jane ka man karne laga hai...
बस ये समझ लीजिये काम काज छोड़कर गाँव भाग जाने का मन कर रहा है. वाकई बहुत खूबसूरत
मैं भी घर वापिस गयी थी सबकुछ ऐसा ही सुन्दर है लेकिन मुझे वापस आना पड़ा परिवार वालों ने स्वीकारा ही नहीं....
जय जय भड़ास
apane gaanw ki yaad aa gayi ...ab aur kuchh nahi kah sakata..
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