फोन की घंटी बजते ही दिल उछल कर मुंह में आ जाता है, जुबान सूखे होंठो को तर करने के चक्कर में कुत्ते की तरह से बाहर निकलने लगती है, आवाज हलक में ही फंस कर रह जाती है और अगर किसी भी तरह से ज़ोर लगा कर बाहर निकल भी आयी तो हकलाहट भरी निकलती है जिसमें कि त...त...त..प...प...प... के अलावा और कुछ नहीं होता है। क्या जबरदस्त फैला हुआ नेटवर्क है हिंदुस्तान में जैसे पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी आई.एस.आई. हो या फिर कोई दुबई में बैठा हुआ माफ़िया डॉन हो जिसके इन्फ़ार्मर्स में गली का कुत्ता, बिल्डिंग का वाचमैन, सारे पड़ोसी, आटो-टैक्सी वाले, न्यूजपेपर वाला,रेल्वे स्टेशन के एनाउंसर से लेकर लोकल ट्रेन के मोटर मैन और गार्ड, मेरे आफ़िस के सारे लोगों के साथ ही मेरे अधिकारी सभी शामिल हों; कभी-कभी तो लगता है इस इन्फ़ार्मर्स के नेटवर्क में खुद मेरे ही घर वाले और दुनिया बनाने वाला भी शामिल है क्योंकि फोन करने वाले को हर बात पता रहती है कि मैंने दिन में कितनी बार सांस ली हैं उन सांसो की स्पीड कितनी थी, क्या खाया है और खाने के बाद वो खाना किस रूप में और कितना बाहर निकला वगैरह...वगैरह...। क्या आपने लोन-की ली है कभी? अगर ली है तो आपको भी पता होगा कि लोन कितना खतरनाक है उसके आदमी चप्पे-चप्पे पर फैले हैं आपकी हर हरकत पर नजर रखते हैं वो जब चाहे आपको उठा सकते हैं। मैं ने लोन की ली है तो मैं भी इसी स्थिति से गुजर रहा हूं मुझे हर पल लोन के आतंक का सामना करना पड़ता है पुलिस उसका कुछ नहीं बिगाड़ती क्योंकि कई बार संदेह होता है कि पुलिस भी मिली हुई है लेकिन भारत के संविधान पर आस्था रखने वाला ये गरीब प्राणी विश्वास रखता है कि संविधान व न्यायतंत्र निर्दोषों की हिफ़ाजत करेगा और लोन के फोन का आतंक जल्द ही समाप्त होगा। ये चूंकि हिंदी वाले देसज लोगों का मंच है इसलिये जिन अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग अपनी पीड़ा बताने में करा गया है उसमें लोन(उधार) और की(चाबी)है। ये जब हगने मूतने तक पर भी नजर रखता है तो हो सकता है कि भड़ास भी देखता होगा इसलिये इस बात की गुहार इस मंच पर लगायी जा रही है कि मुझे लोन के आतंक से बचाओ..........।
जय जय भड़ास
3 comments:
bhai saab ye sab mandi ka asar hai. loan ka phone to ab ghar ghar aayega. logo ki nind haraam ho jayegi jaisi aapaki ho gayi hai. this is a type of corporate chaaplushi. kya kar sakate hai....
डॉ.साहब ये लोन सरकारी हो या प्राइवेट इसे हम लाइसेंसी सहुकारवाद की संज्ञा दे सकते हैं जैसा कभी होता था की एक बार पैसा ले लिया से कागज पर अंगूठा लगा दिया बस अब जिंदगी भर सिर्फ ब्याज चुकाते रहिये.और अब तो सर्कार न भी बाकायदा ब्याज पर पैसे बटने वालों का रजिस्ट्रेशन कर दिया है तो उनको भी तो खून चूसने के लिए अपना सुचना तंत्र मज़बूत बनाना होगा.
मुद्दा बेशक बढ़िया है...इसके लिए आपको बधाई
आपका हमवतन भाई ............गुफरान.....( अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद )
अरे मेरे प्यारे यार भड़ासियों आप डा.साहब के शब्द छल को समझे नहीं दरअसल उन्होंने इस पोस्ट की आड़ में कहीं अलग ही निशाना लगाया है और जहां लगाया वह दुबई में बैठ कर रो रहा है कि अब वह डा.साहब के निशाने पर आ गया है। मुखौटे उतारने की सर्जरी का एक प्रयोग हैं ये पोस्ट आप सब ने जो टिप्पणी की है वो निःसंदेह सार्थक है पर भाई कहीं अलग ही तीर चलाकर दो निशाने भेद चुके हैं यही तो कमाल है हमारे चिकित्सक भाई का जो हम सबके हर मर्ज की दवा रखता है और समय पर बीमारियों का इलाज भी कर देता है और वायरसों की हवा भी तंग कर देता है....
जय जय भड़ास
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