क्या शक है किसी को जो इतना ड्रामा करने की जरूरत है उस मुखौटाधारी पाखंडी दल्ले को ? अरे मूर्ख मैं ही तो हूं डॉ. रूपेश श्रीवास्तव, तुझे कोई शक नहीं होना चाहिये। वह ही तो हैं जो हम सबके अधूरे शरीरों में आत्मा बन कर हमें जिन्दा रखे है इसीलिये तो तू जान ले ढकोसलेबाज कि मैं ही हूं डॉ. रूपेश श्रीवास्तव।
जय जय भड़ास
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