भारत ने इस बात को रेखांकित किया है कि विदेश सचिव स्तर की प्रस्तावित बातचीत का मतलब समग्र वार्ता की बहाली नहीं होगा। वैसे वह बलूचिस्तान समेत पाकिस्तान द्वारा उठाए किसी भी मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए तैयार है, क्योंकि भारत इस स्थिति को परिपक्वता और भरोसे के साथ निबटाना चाहता है।
सीमापार आतंकवाद और घुसपैठ में बीते साल उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है और प्रस्तावित मुलाकात में भारतीय पक्ष इन मुद्दों को केंद्र में रखेगा।
समग्र वार्ता के तहत चार दौर की वार्ता में जम्मू कश्मीर और आतंकवाद समेत आठ मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया था। लेकिन नवंबर 2008 में मुंबई हमलों के बाद इस पर विराम लगा दिया गया।
सूत्रों ने आज कहा कि विदेश सचिव स्तर की बातचीत, मुंबई हमलों के बाद बंद बातचीत के रास्ते को खोलने के लिए महज संवाद है, यह समग्र वार्ता नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि बातचीत की पेशकश, सीमापार आतंकवाद की चिंताओं के निराकरण के लिए भारत की एक व्यावहारिक पहल है।
गतिरोध खत्म करने का फैसला करते हुए विदेश सचिव निरूपमा राव ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष सलमान बशीर को बातचीत के लिए यहां आने का न्यौता दिया है और 18 एवं 25 फरवरी की तारीख की पेशकश भी की है।
विदेश सचिव स्तर की बातचीत की पेशकश करते हुए भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान जब तक सीमापार आतंकवाद के मुख्य मुद्दे पर नहीं आता, तब तक कोई सार्थक संवाद या रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।
मुंबई हमलों की पुनरावृत्ति रोकने में पाकिस्तान की असमर्थता को खारिज करते हुए सूत्रों ने कहा कि ऐसा कोई हमला दोबारा हुआ तो संबंध सामान्य करने के प्रयासों को बहुत बड़ा धक्का लगेगा।
सूत्रों ने यहां इस बात को रेखांकित किया कि आतंक के माहौल में सार्थक संवाद नहीं हो सकता। सूत्रों ने कहा, मुंबई जैसे किसी हमले के दोहराव को रोकने कि लिए पाकिस्तान को सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए।
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