हकीम साहब


एक हकीम साहब के पास डायरिया का मरीज़ आया.
हकीम साहब ने कहा यह गोलियाँ इस्तेमाल करो इंशाअल्लाह फ़ायदा होगा. हिकमत में चूँकि मर्ज़ को दबा कर नहीं बल्कि उभार कर ख़त्म किया जाता है इसलिए दवा के इस्तेमाल से अगर और दस्त आएँ तो घबराना नहीं.
दो दिन बाद मरीज़ का बेटा हकीम साहब के पास आ कर शिकायती लहजे में बोला कि अब्बा को तो दवा के इस्तेमाल के बाद इतने दस्त आए हैं कि चारपाई से लग गए हैं. हकीम साहब ने कहा, "घबराओ नहीं दवा अपना असर कर रही है और मर्ज़ बाहर निकाल रही है, अभी दस्त आएँगे फिर फ़ायदा दिखना शुरु हो जाएगा".
तीन दिन बाद मरीज़ का बेटा फिर हकीम साहब के पास आया यह बताने के लिए कि अब्बा इंतक़ाल फ़रमा गए हैं. हकीम साहब ने एक आह भरते हुए कहा, "मरना तो एक दिन हर एक है. शुक्र है दस्त बंद हो गए".

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