महिला की बेनामी टिप्पणी

चित्र को बड़ा करके देखिये कि क्या भड़ास निकाली है और क्या संपादित करा गया है
पहली बार किसी महिला की बेनामी टिप्पणी आयी है हो सकता है कि ये किसी महिला की टिप्पणी न होकर किसी ऐसे माहिल की हो जो कि अपने मन में महिला बनाने की तमन्ना दबाए बैठा हो तभी तो बेनामी टिप्पणी में भी उसकी दबी चाहत निकल कर आ गयी है। वैसे भड़ास पर बेनामी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करा जाता है लेकिन इस टिप्पणी में हमें जिस तरह स्त्रियोचित अंदाज में गरिआया गया है उस पर हमें ये लगा कि इसका प्रकाशन अनिवार्य है वरना उस बेचारी महिला/माहिल की भावनाएं आहत होंगी, हमारा क्या है हमारे लिए तो गालियाँ हमारे कार्य के प्रतिसाद स्वरूप हुई एक प्रतिक्रिया मात्र है बस थोड़ी सी कठोर है। हम स्त्रीत्व का सम्मान करते हैं कहते वह आक्रोश में गरिया ही क्यों न रहा हो।
जय जय भड़ास

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