वैश्विक आर्थिक सुस्ती के दौर में पिछले साल विकास दर 6।7 फ़ीसदी रह गई थी ।
केंद्रीय सांख्यकि संगठन यानी सीएसओ ने मंगलवार को विकास दर का ताज़ा आकलन जारी किया है ।
हालाँकि यह अनुमान रिज़र्व बैंक और वित्त मंत्रालय के अनुमान के मुकाबले कम हैं ।
वित्त सचिव अशोक चावला ने कहा है की सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण में भी कुछ ऐसा ही कहा था और बाद में भी वह इसकी उम्मीद रख रहे थे ।
सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में यह बेहतरी उद्योग और सेवा क्षेत्र में दर्ज किए जा रहे अच्छे प्रदर्शन के आधार पर हैं ।
सीएसओ के मुताबिक औद्योगिक विकास दर 8।9 और सेवा क्षेत्र की विकास दर लगभग दस फ़ीसदी रहने की उम्मीद है ।
हालाँकि विकास दर में यह वृद्धि तब हुई है जब सरकार ने वैश्विक सुस्ती से निपटने के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिए थे लेकिन इससे सरकारी घाटा बढ़ रहा है।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलुवालिया ने भी माना कि 7।2 फ़ीसदी आर्थिक बढ़ोतरी इसी पैकेज का नतीजा है और अब इसे चरणबद्ध तरीके से ख़त्म किया जाना चाहिए ।
लेकिन उद्योग संगठन फिक्की ने कहा है कि रिज़र्व बैंक की बाज़ार में नकदी घटाने की हाल की घोषणा के साथ-साथ आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज का वापस लिया जाना अर्थव्यवस्था और रोज़गार के लिए घातक सिद्ध होगा ।
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