1 comment:
- रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...
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साथी भडासी और मित्रों,
धर्म कर्म, पोंगे पाखण्ड से हट कर हमारे देश में आमलोगों के लिए बहुत से मुद्दे हैं,
क्या हम सब मिल कर अपनी सम्मिलित ऊर्जा का प्रयोग अपने वतन के लिए करेंगे ?
आस्था पर प्रश्न ना उठायें.
जय जय भड़ास - August 12, 2009 at 4:37 AM
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गताक से आगे.....
डा.रूपेशji श्रीवास्तव ने कहा…
छोटे सवाल जो कि मुझसे करे गए थे परन्तु मेरे पास उत्तर नहीं था अब आपसे जान सकता हूं---
१. भारत के स्वाधीनता संग्राम से जुड़े दस जैन क्रान्तिकारियों के नाम बताइये।
२.मुसलमान कुरान शरीफ़,हिन्दू भगवदगीता, क्रिस्तान बाइबिल की अदालत में सत्य बोलने के लिये शपथ लेते हैं जैन किस ग्रन्थ की शपथ लेते हैं यदि भगवदगीता की ही शपथ लेते हैं तो क्यों हिंदुओं से अलग मानते हैं खुद को?
मेहरबानी करके इन शंकाओं का समाधान करें।"
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मैने सहजता से एवम मेरे ज्ञान अनुरुप मुम्बई टाईगर पर्
डा.रूपेशजी श्रीवास्तव ने यह क्या पुछा नामक एक पोस्ट प्रसारित कि थी। उसमे जैन् हिन्दु नही है करके मैने स्पष्ट किया था।" यदि आप हिन्दु का अर्थ वैदिक परम्परा का अनुयायी से करते है तो जैन हिन्दु नही है. और यदि आप हिन्दु का अर्थ राष्ट्रीयता से है तो जैन हिन्दु है।"
२.मुसलमान कुरान शरीफ़,हिन्दू भगवदगीता, क्रिस्तान बाइबिल की अदालत में सत्य बोलने के लिये शपथ लेते हैं जैन किस ग्रन्थ की शपथ लेते हैं यदि भगवदगीता की ही शपथ लेते हैं तो क्यों हिंदुओं से अलग मानते हैं खुद को?
आपकी यह बात ठीक है की जैन भी गीता पर हाथ रखकर शपथ लेते है। इसके मुख्य कारण है गीता हम सबके लिऍ पवित्र ग्रन्थ है। इसमे कोई खराबी नही है यह तो अच्छी बात है।
जैन अल्पसख्यक है, इसलिए जैन ग्रन्थ "आगम" की उपल्बधता आदलतो मे नही है। आपने इस और ध्यान दिलाया इसलिए आभार। अगर कोई जैनी अदलतो मे आगम के समक्ष शपथ की माग करता है तो उसे उपल्बध कराई जा सकती है। मुझे भरोसा है जल्दी ही आदलतो मे जैन ग्रन्थ आगम को सुचीबद्धकर जैनो के लिए उपलब्घ होगा। फिर भी मैरा अनुग्रह जैन भाईयो से की गीता हो या बाईबिल या कुरान सभी ग्रन्थ पवित्र है हमे जो उपल्बध हो सभी घर्मो के ग्रन्थ सम्मान जनक है। हमारा ध्यान राष्ट्रीयता पर होना चाहीए। वैसे बोद्ध भी हिन्दु नही है। पर शपथ गीता की ही लेते है।
मुल प्रकृति के अनुशार हिन्दु शब्द देश या राष्ट्र का वाचक है। वह किसी धर्म का वाचक नही है।
भारत मे धर्म की दो धाराये प्रवाहित रही - श्रमण और वैदिक। श्रमण परम्परा का तन्त्र क्षत्रियो के हाथ था, वैदिक परम्परा का सुत्र धार ब्राहृमणो वर्ग था। साख्य, जैन, बोद्ध और आजिवक- ये सभी श्रमण परम्परा के धर्म है। मीमास, वेदान्त-ये वैदिक परम्परा के धर्म है। हिन्दु नाम का कोई भी प्राचीन धर्म नही है। मुसलमानो के आगमन के बाद हिन्दु और मुसलमान पक्ष और प्रतिपक्ष बन गये। प्राचीन काल मे श्रमण ब्राहृण पक्ष प्रतिपक्ष हुआ करते थे। इसका उल्लेख सस्कृत व्याकरणकारो ने उल्लेखित किया है। एक श्रमण ब्राहृण धर्म मे दिक्षित हो जाता है और एक ब्राहृण श्रमण धर्म मे दिक्षित हो जाता, उसे कोई जाति परिवर्तन नही होता।
क्रमश........3
(यह कमेन्ट कई भागो मे है अत आप एक एक कमेन्ट तुरन्त प्रकाशित करते जाए मे लिखकर भेजता रहुगा।)
August 5, 2009 5:15 AM
या खुदा! आप ने तो गजब कर दिया है लिखते हैं कि जैन् हिन्दु नही है करके मैने स्पष्ट किया था।" यदि आप हिन्दु का अर्थ वैदिक परम्परा का अनुयायी से करते है तो जैन हिन्दु नही है. और यदि आप हिन्दु का अर्थ राष्ट्रीयता से है तो जैन हिन्दु है।"
तो महाराज राष्ट्रीयता के अनुसार तो मैं,मुनव्वर सुल्ताना आपा, फ़रहीन नाज़ आपा,भाई गुफ़रान सिद्दिकी, भाई अब्दुल बासित, चाचा मोहम्मद उमर रफ़ाई,भाई शम्स उल रहमान, भाई पीटर,डा.रूपेश श्रीवास्तव जैसे न जाने कितने लोग आपकी राष्ट्रीयता के पैमाने से हिंदू हुए क्या ये कहने का साहस है कि हम सब भी हिंदू हैं अगर जैन हिंदू हैं राष्ट्रीयता के आधार पर? यानि आप मानते हैं कि ये हिंदुस्तान नहीं हिंदू स्थान है?
जवाब जरूर दीजिए ताकि आगे की बातें आपसे साफ़ कराई जा सकें।
जय जय भड़ास
August 5, 2009 10:45 AM
जैनब आपा! ये आदमी पक्का चालू बकरा है। इतनी लम्बी-लम्बी टिप्पणियां दे रहा है कारण मैं बताता हूं ताकि डा.साहब का मान भी रख लिया जाए और दो दिन में पोस्ट आर्काइव में चली जाएगी और लोग इस मुद्दे को भूल जाएंगे लेकिन अगर ये पोस्ट लिखता जैसा कि डा.साहब ने बताया भी था तो तमाम हिंदी के एग्रीगेटरों पर दिखता कि शराफ़त अली महावीर सेमलानी ने भड़ास पर पोस्ट लिखी है तो इनके दामन में दाग लग जाता। वैसे भी टिप्पणियां कौन पढ़ने आता है हम लोग अगर सच लिखते हैं तो ये रोता है कि हमें दो चार लोग मिल कर रगेद रहे हैं। आपने इसे अच्छा पकड़ा है देखते हैं क्या जवाब देता है गोलमाल सा........
जय जय भड़ास
August 5, 2009 11:02 AM
गताक से आगे
कुछ दिन पहले हैदराबाद के अलकबीरा कत्ल खाने की तस्वीर छापकर पुछा गया की इसका मालिक कोई जैन है ? मुझे इसकी जानकारी नही है। कि उस कत्लखाने का मालिक कोन है। समझ लो वो जैन है तो इस बात से क्या सिद्ध होता है? घर घर मे खोट है भाई ! जैन हो या अन्य कत्ल खाने से होने वाली हिन्सा का जैन धर्म कोई तरिके से समर्थन नही करता। मेरा शर्ट तुमसे ज्यादा सफेद कहकर कोई किसी की मर्यादाओ का हनन नही कर सकता। दाग तो चॉन्द मे भी है
दुनिया मे जितने भी बुचड खाने है उसे चलने वाला कोई ना कोई जाती धर्म से सम्बन्ध रखता है। ससार के किसी भी धर्म ग्रन्थ मे जीव हत्या का समर्थन नही किया, चाहे वो बाईबल हो, गीता हो, कुरान हो, जैन आगम हो। पर लोग इन ग्रन्थो के उल्ट यह घीनोना काम रहे है। इसके लिए कोई भी धर्म क्या कर सकता है। किसी घर मे एक बाप के चार बेटे होते है। एक बेटा बुरी आदतो का शिकार हो जाता है तो इसमे धर्म क्या करेगा? घर्म तो सदा उसके साथ रहता है जो कोई उसकी अनुपालना करे। ऐसी छोटि मोटी घटनाऍ अपने घर परिवार, आस-पडोस मे अक्सर देखने को मिल जाती है। यह सब लिखकर मै अलकबीरा कत्ल खाने के बचाव के पक्ष मे नही हू। अगर वो जैनी भी है तो मै एवम समस्थ जैन सघ उसका विरोध करता है। मुझे अभी अभी पता चला है कि उपरोक्त कत्ल खाने को बन्द करवाने हेतु हैदाराबाद न्यायलय मे जैन सघ द्वारा कत्ल खाने के मालिक के विरुध मुकदमा दायर किया हुआ है।
क्रमश 4.................
(यह कमेन्ट कई भागो मे है अत आप एक एक कमेन्ट तुरन्त प्रकाशित करते जाए मे लिखकर भेजता रहुगा।)
August 5, 2009 10:20 PM
गताक से आगे..............
अब रही बात जैन रामायण की। वैसे तो भाई अमीत ने कुछ रामायणो की जानकारी दी थी। भारत भर मे कुल ७०० तरह की रामायणे है।
उसमे एक राधेश्यामरामायण, राधेश्याम सम्प्रदाय की है जो बहुत ही बडी है। उसी तरह जैन रामायण भी है। अपनी अपनी कल्पना शक्ति से बनी विभिन्न रामायणो के प्रसगो मे थोडा बहुत भेद है। कही रामजी को भगवान कहा गया ,तो कही मर्यादापुरुष।
जैन रामायण है यह ससार को १२०० वर्षो से पता है। जिसको यह पता नही उनके लिऍ यह सवाल कोई खजाने कॉ ढूढने जैसा है क्या ? यह सवाल पुछने वाले समझते है की दुनिया के वे पहले ऐसे आदमी है जिसे पता चला है की जैन रामायण है । अरे भाई दुनिया के वे आखरी इन्शान है की उन्हे अब ज्ञात हुआ की जैन रामयण है। मै तो उन्ह लोगो का धन्यवाद करता हू की भडास के माध्यम से जैन समाज के बारे मे लोगो को समझने का मोका दिया।
क्रमश ५.................
(यह कमेन्ट कई भागो मे है अत आप एक एक कमेन्ट तुरन्त प्रकाशित करते जाए मे लिखकर भेजता रहुगा।)
August 5, 2009 10:23 PM
गत्तक से आगे...........
भाई अमीत ने बहूत सी बाते जैन धर्म की तथ्यो सहीत रखी। लोगो ने जाना भी समजा भी। पर वे लोग जो जैनो के बारे मे इतना पुछते है या जानकारी चाहते है इसके पिछे उनका मुल मकसद क्या है ? यह समझना जरुरी है। वे कोन है? उनका क्या इतिहास है ? उनकी मुल भावनाए क्या है ? यह उन्होने कभी तर्क सगत बात नही की। सिर्फ तीन बाते ही मैने पढी है- जैनो तुम मयावी हो- तुम राक्षस हो- बनिये हो- तुम बरसात को बान्धते हो। भाई रुपेशजी आप वर्तमान मे एक शिक्षित वर्ग के लोगो का प्रतिनिधित्व करते है, आपने कही बार कहा है की मै धर्म वरम को नही मानता हू क्यो कि आप कर्म पर विश्वास करते है तब ये जैनो के बरसात बान्धने की बात आप और हम इस वैज्ञानिक युग मे कैसे माने। कोई तर्क तो हो की ऐसा होता है। यह सभी दुषप्रचार का मात्र हिस्सा भर है। जो सत्यता से कोशो दुर है।
अमित ने कहा था-" जैन वो होते है जो जिन को मानते है।"
वो लोग कहते है -"जिन भुत होते है- प्रेत- आत्मा होते है।"
मै कहता हू - जिन और जिन्न मे आधा शब्द का फर्क है। "जिन्न" शब्द उर्दु भाषाई है इसका अर्थ अपने आकाओ के लिऍ काम करने वाली आत्माऍ।
जैनो मे "जिन" शब्द जैन सहित्यक का शब्द है- अर्थ है जिनेश्वर! यानी वैदो मे जिनेश्वर का उल्लेख है भगवान से । जिन कोन ?
जिन वो सभी चोबिस तीर्थकर है जिसे जैनी, जिन्श्वेर या भगवान के रुप मे ध्याते है। इन्हे जैन धर्म की भाषा मे अर्हत देव भी कहा गया है। तीर्थकर अहिसा,सत्य,आदि रुप धर्म की प्ररुपणा करते है। तीर्थकर १२ विशेष गुणधारी होते अरिहन्त नाम का अर्थ है काम,क्रोध,लोभ इत्यादि दुर्गुण रूपी शत्रुओं का नाश करने वाला, अरिहन्त भी तीर्थकरो को सम्बोधन है। राजा दशरथ को भी अरिहंत कहा गया है।
हमे गर्व होता है की जैनो के तीर्थकर जिन्हे हम 'अरिहन्त' के नाम से पुकारते है इस विश्व शान्ति के प्रतिक के रुप मे यह परमाणु पनडुब्बी "अरिहन्त" भारत का शान्ति सन्देस का दुनिया भर मे प्रतिनिधित्व करेगी।
क्रमश 6.............
(यह कमेन्ट कई भागो मे है अत आप एक एक कमेन्ट तुरन्त प्रकाशित करते जाए मे लिखकर भेजता रहुगा।)
August 5, 2009 10:32 PM
गताक से आगे................
कृपया पाठकगण इसे भी देखे।
जैन कोन ?
रहस्य है मेहरबानी करके बताएं
राक्षस जैनों ने रणधीर सिंह ’सुमन’ पर डाली अपनी काली जादुई नज़र
जैन राक्षसों ने भड़ास पर भी पुरानी चाल
राक्षस अमित! यदि तुम लोगों को भरमाना छोड़ दो
सवाल है जैन अदालत में किस धर्म ग्रन्थ की शपथ लेते हैं?
अरविंद आए अमित जैन और महावीर सेमलानी की वकालत में आगे
तुम्हारा हिमायती महावीर सेमलानी
महावीर सेमलानी साहब जिनसे कि ये मसला शुरू हु
for the world
अहिंसा का मतलब - सारे धर्मो का नजरिया
ARVI'nd, June 22, 2009 11:00 AM
जैनहिंदू हैं? हिंदूनहीं है? संजय बेंगाणी,अमित जैन महावीर सेमलानी कौन?
आप किसी भी बन्धु को मेरी बातो से कही कोई ठेस लगी हो तो मे क्षमा मागता हू। यह सभी बाते मेरे मित्र रुपेशजी एवम अमितजी एवम मोहनजी के विशेष आग्रह पर मेरे विवेक से लिखी है। जो मुल ग्रन्थो को माध्यम बनाकर अपनी बात जोडकर लिखी गई है। कही भी भाषा शब्दो एवम सम्बोधन मे किसी की भावनाओ को आहत किया हो तो तच्छ मिच्छामी दुकडम! आप सभी प्रेम भाव बानाए रखे एवम लोकप्रिय भडास के माध्यम से रुपेशजी के भारत विकास अभियान मे सात्विक योगदान करते रहे।
आभार
जयजिनेद्र
महावीर बी सेमलानी
मुम्बई टाईगर
August 5, 2009 10:35 PM
आदरणीय रुपेशजी
आपने पुछा-"अंतिम बात कि अभी हाल ही में ई-मेल प्रकिया द्वारा भेजी गयी पोस्ट जिसमें मेरे ऊपर आरोप है कि मैं जहरीला इंसान हूं और अनूप मंडल के नाम से लिख रहा हूं इसके बारे में आपने क्या सोचा??? मैने तो इसे भी नहीं हटाया है और न ही हटाउंगा। आप मेरे दयालु मित्र हैं क्या मेरे ऊपर लगाए इस आरोप से आप सहमत हैं या चुप रहेंगे? प्रतीक्षा रहेगी आपकी..........!!!!!!
यह बात निराधार प्रतित होती है की आपने यह सभी लिखा है। यह आरोप जो आप् पर लगाए है उसमे सत्यता नही है। आप जिस भडास को चला रहे है वो बडा ही साहसिक कार्य है। आपकी लेखनी मे जन उत्थान की बाते होती है। सामाजिक अवस्थाओ के प्रति आपका आक्रोश आपकी लेखनी मे साफ दिखता है। रुपेशजी आप और मै लिखते समय उदेश्य समान्तर होते है की समाज एवम देश का हीत सलग्न हो। मुझे पता है की एक सामुहिक ब्लोग या परिवार को चलाना बडा ही मुश्किलो भरा कार्य है जो आप कर रहे है। पर मुख्या होने का दायित्व भी आपके पास है अत : निपक्षता/ सम्मानजनकता/ अन्य सदस्यो एवम दोस्तो की बनी रहे।
आपका आभार रुपेशजी की आपने मुझे मित्र कहा।
August 5, 2009 11:09 PM
भाई रुपेशजी मैने धाराप्रवाह बहुत कमेन्ट कल भेजे थे और भेजने बाकी है तो कल से बाकी के कमेन्ट प्रसारित नही हुए है। इन कमेन्टो को आधा आधुरा पढना लोगो के समझ मे नही आएगा जो की ठीक नही है। आपने किस मकसद से बाकी के कमेन्ट रोक रखे है ? कृपया तुरन्तर ही रिलिज करने की मेहरबानी करे ताकी हमारे पाठक क्रमवार पढे तो पुरी बात स्पष्ट ज्ञात हो सके।
आप निपक्षता पुर्वक मेहरबानी बनाए रखे।
August 6, 2009 11:28 PM
aadararniya Mahavir bhai,aapke comments rok nahi rakhe the balki internet ki samasya ke karan pareshaan hoon aaj cyber cafe se kaam kar raha hoon vilamb maaf kariyega. ek bhai ne phone karke janane ki baat kahi ki kis veda mein bhagavan ke liye jineshvar shabd prayog hua hai our usaki prati kisake paas upalabdh hai? is saval ka uttar avashy de dikjiye unhe.
Ham sab ko desh hit mein kaam karna hai bas yahi mera lakshya hai.aapko saadhuvad
Jai jai bhadas
August 6, 2009 11:46 PM
डॉक्टर साहबः बिल्कुल हम ठहरे मरीज और आप है डाक्टर! अब बेचारा मरीज बार बार डाक्टर को पुछता रहता है ।
आपका मै बहुत ही तेह दिल से आभार प्रकट करता हू।
मेरे इतने बडे कमेन्ट मे श्ब्दो के लिखने मे गलती हुई है- वैद लिखा है वहॉ पाठक ग्रन्थ(जैन) पढे।
अक्सर लिखते समय हजारो शब्द दिमाग मे चलते होते है उस वक्त कुछ शाब्दिक भुले सम्भव है। मै भी जल्दी- जल्दी मे देख नही पाया। पाठको को हुऍ असुविधा के लिए मै क्षमा चाहता हू।
डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava), @Ham sab ko desh hit mein kaam karna hai bas yahi mera lakshya hai.aapko saadhuvad
मै आपके इन्ह शब्दो का समर्थन करता हू। भडास के माध्यम से जो सपना रुपेशजी ने देखा- "देश हित" का हमे अपनी पुर्ण आहुति देनी है।
खुब खुब आभार। जल्दी जल्दी लिखते समय कुछ बातो मे शब्दो मे अर्थो मे भुल सम्भव है मैने पहले भी माफी माग ली है एक बार पुन क्षमा प्रर्थी हु। आप मेरी भावना को देखे शब्दो को नही। मेरी भावना भी डाक्टरसाहब की भावनाओ के साथ मेल खाती है @देश हीत'
आभार।
August 7, 2009 12:52 AM
डॉक्टर साहबः बिल्कुल हम ठहरे मरीज और आप है डाक्टर! अब बेचारा मरीज बार बार डाक्टर को पुछता रहता है ।
आपका मै बहुत ही तेह दिल से आभार प्रकट करता हू।
मेरे इतने बडे कमेन्ट मे श्ब्दो के लिखने मे गलती हुई है- वैद लिखा है वहॉ पाठक ग्रन्थ(जैन) पढे।
अक्सर लिखते समय हजारो शब्द दिमाग मे चलते होते है उस वक्त कुछ शाब्दिक भुले सम्भव है। मै भी जल्दी- जल्दी मे देख नही पाया। पाठको को हुऍ असुविधा के लिए मै क्षमा चाहता हू।
डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava), @Ham sab ko desh hit mein kaam karna hai bas yahi mera lakshya hai.aapko saadhuvad
मै आपके इन्ह शब्दो का समर्थन करता हू। भडास के माध्यम से जो सपना रुपेशजी ने देखा- "देश हित" का हमे अपनी पुर्ण आहुति देनी है।
खुब खुब आभार। जल्दी जल्दी लिखते समय कुछ बातो मे शब्दो मे अर्थो मे भुल सम्भव है मैने पहले भी माफी माग ली है एक बार पुन क्षमा प्रर्थी हु। आप मेरी भावना को देखे शब्दो को नही। मेरी भावना भी डाक्टरसाहब की भावनाओ के साथ मेल खाती है @देश हीत'
आभार।
August 7, 2009 12:52 AM
August 7, 2009 1:06 AM