गुफ़रान भाई विचित्र अनुभव मत करिये मेरा "अल्पसंख्यक" शब्द से आशय मात्र भारतीय मुलिम हरगिज नहीं है बल्कि उन सभी से है जो धर्म की आस्था के आधार पर आम नांगरिकों में बंटवारा करा गया है। कल यदि मैं हिंदू ब्राह्मण इस्लाम स्वीकार लूं तो तत्काल मेरे कानूनी अधिकार बदल जाएंगे जो कि स्पष्टतः समान नागरिक अधिकारों का खुलेआम मजाक है क्या आपने इस विशय पर कोई पहल करी है जैसे कि कोई जनहित याचिका आदि अपने राजनैतिक मंच के द्वारा दायर करी हो कि हमें मात्र मुस्लिम होने के कारण विशेष आनूनी अधिकार नहीं चाहिए?????? आशा है कि आपका उत्तर मेरे सवाल जितना ही स्पष्ट रहेगा। मुझे आपका राजनीति में होना उतना ही अच्छा लगा है जितना कि आपको खुद लगता है क्योंकि मैं चाहता हूं कि कर्तव्यनिष्ठ और कर्मनिष्ठ नेता समाज और देश को दिशा दें।
जय हिंद
आपका हमवतन भाई
ब्रिजेन्दु तिवारी
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