आजादी की ६३ वीं वर्षगांठ पर श्री धुलसिंह जी पंवार की जेलयात्रा का उन्हीं के शब्दों में वर्णन



हमारा संघर्ष जिस तरह चल रहा है उसमें हमारे ऊपर पैसों के बल पर जैनों द्वारा लाठीचार्ज करवाना, झूठे मामले बना कर फंसवाना आदि का सामना करना ही पड़ता है। बिना इनकी इन राक्षसी ताकत का मुकाबला करे हम मासूम लोगों को कभी नहीं समझा पाएंगे कि ये सचमुच राक्षस हैं और जो भी बुरा हो रहा है वह इन्हीं का किया धरा होता है लेकिन चूंकि ये लोगों की बुद्धि भरमाए रहते हैं इसलिये देख कर भी आप समझ नहीं पाते। हमारे आदरणीय धुलसिंह जी और अन्य साथियों को भी एक बार इसी तरह एक कार्यक्रम के दौरान गिरफ़्तार करा गया और जो भी हुआ उन्होंने खुद अपने शब्दों में लिखा है। निवेदन है कि हम लोग राजस्थान के रहने वाले हैं तो अगर भाषा में व्याकरण की गलतियां हों तो उन्हें विद्वान जन सुधार कर पढ़ेंगे।
शेष अगली पोस्ट में-------
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

3 comments:

Suman said...

nice

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

सुमन भाई, इन्हें तो पेल कर रख दिया गया इसमें भी आपको "नाइस" लगा तो आप सच्चे भड़ासी हैं :)
जय जय भड़ास

मुनेन्द्र सोनी said...

डा.साहब सुमन भाई के सच्चा भड़ासी होने में कोई संदेह नहीं है। साथ ही धुलसिंह जी के अनुभव को पढ़ कर मन तिक्त हो गया कैसे कैसे खतरनाक अनुभवों से गुजरना पड़ता है सच की लड़ाई लड़ने वालों को...
जय जय भड़ास

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