शेष गतांक से आगे.....
अब जरा इधर देखिये:----
एहि हिन्दुग देसे वच्चावो (" निशीथ चूर्ण" जैन आगम रचनाकाल-७३३वि.सं.)
हिन्दु धर्म प्रलोप्तारौ जायन्ते चक्रवर्तिनः।
हीनश्च दूषयप्येव स हिन्दूरित्युच्यते प्रिये॥ (मेरू तंत्र)
ये भी देखिये------
हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्परः।
वेद...... हिन्दू मुख शब्दभाक॥ (वृद्ध स्म्रति)
बलिना कलिनाच्छन्ने धर्मे कवलिते कलौ।
यवनैर वनीक्रान्ता, हिन्दवो विन्ध्यमाविशन॥(कालिका पुराण)
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