हाथों पर लगा खून आप चित्र में देख सकते हैं, मै गोपाल भाई के साथ उनके घर पर लगभग दस दिनों तक रहा हूं और इन हाथों को मैने प्यार से स्वस्थ होने की कामना से छुआ है
गोपाल भाई को मौत के भय से भय नहीं लगता है।
पचासों बार मैंने इसी तरह अधमुंदी आंखो के साथ लेटे हुए गोपाल भाई के साथ घंटो बातें करी हैं। भाई की ऊर्जा ने मुझे सोच की एक नयी दिशा प्रदान करी है इस बात को स्वीकारने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि डा.साहब दुकान तो सब चलाते हैं लेकिन किसकी दुकान की राजनीति का उद्देश्य क्या है ये महत्त्वपूर्ण है
शोषक नीतियों वाली सरकारों के खिलाफ़ छेड़ी गोपाल भाई के कार्यक्रम की खुली दहाड़ती रूपरेखा
आमरण अनशन पर बैठे गोपाल भाई ने जब पिछले दस दिनों से कुछ नहीं खाया-पीया तो पुलिस उन्हें जबरन उठा ले गई और ग्लूकोज़ चढाने की जबरई में उन्हें जख्मी कर दिया । गोपाल भाई के बारे में तमाम भड़ासी तो जानते हैं लेकिन नए पाठक जानना चाहते है की कौन है ये आजादी का दीवाना जो मरने के लिए दिल्ली जंतर-मंतर पहुँचा है तो इनके ब्लॉग और इन कड़ियों पर जाकर देखिये।
भाई गोपाल राय चट्टान की तरह अडिग हैं
तीसरे स्वाधीनता आंदोलन के राष्ट्रीय संगठक गोपाल राय जी का परिचय
तीसरे स्वाधीनता आंदोलन का अपना चिट्ठा है
जय जय भड़ास
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