राजनीती मुझे पसंद है और धार्मिक अभी तक बन नहीं पाया.......

मेरे भाई मैंने कभी कोई मुखौटा नहीं लगाया हमेशा सीधा लिखता हूँ अगर कर्म की बात करें तो अभी मै कार्मिक नहीं हो पाया हूँ और धर्म की बात करें तो धार्मिक भी नहीं हो पाया हूँ हाँ सामान आदर भाव ज़रूर रखता हूँ हो सकता है आपको मेरे द्वारा लिखी बातें ठीक न लगी हों लेकिन मैंने हमेशा इस बात का प्रयास किया है की मै अपनी बातों में कटुता न आने दूँ और जहाँ तक ............. की बात है तो इससे आप मेरी एक बुरी आदत समझ सकते हैं जिसको मै त्यागने की कोशिश कर रहा हूँ हाँ आपने मेरी सदस्यता पर प्रश्न किया तो मेरे भाई ये तो डॉक्टर साहब की देन है जब तब भडासी परिवार चाहेगा मै यहाँ बना रहूँगा.........अब बात करते हैं राजनीती की तो मित्र आज के युग कौन राजनीतिज्ञ नहीं है माफ़ करना मै तो राजनीती करता हूँ लेकिन उनके विषय में क्या कहेंगे जो समाज सेवकों का मुखौटा लगा कर सिर्फ कूटनीति में विश्वास करते हैं और इसी की कमाई खा रहे हैं......
रुपेश भाई शायद आपको ये लगा की मैंने आपकी आलोचना की लेकिन ऐसा नहीं है मै तो सिर्फ ये कहना चाह रहा था की अगर ये बहस भड़ास पर चल रही है और आप भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं तो कोई सार्थक बात ज़रूर होगी.
आपका हमवतन भाई ...गुफरान....अवध पीपुल्स फोरम...फैजाबाद..

3 comments:

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

गुफ़रान भाई आपने ये क्यों सोच लिया कि मैं ऐसा कुछ मान रहा हूं कि आप मेरी आलोचना कर रहे हैं और यदि करें भी तो ये भड़ास है भाई, यहां पर तो मेरे ऊपर बड़े-बड़े आरोप लग चुके हैं तो अपने भाई द्वारा करी आलोचना तो मैं मटर-पनीर की तरह पचा लूंगा:)
मैं सोचता हूं कि कोई मुझे भी इतने गौर से देखे जितना कि आपको या मुनव्वर आपा को देखते और पढ़ते हैं सोचता हूं कि बाकी लोगों के आइने में देख सकूं कि मेरे कितने चेहरे हैं कितने मुखौटे हैं कोई मेहरबानी करके बताओ यार.....
मैं आजकल शरीफ़ बनने की नाकामयाब कोशिश कर रहा हूं इसलिये किसी को पेल नही रहा, ये जिस भले आदमी ने आपके चेहरे बताए हैं उसने पोस्ट भेजने के लिये ई-मेल तरीका अपनाया है जो कि इतना बेहतरीन है कि माडरेटर को भी नहीं पता चलता कि मेल किस पते से आया है, है न लोकतांत्रिक अंदाज :) वरना कहीं हम पगले इनके ही पीछे न पड़ जाएं
जय जय भड़ास

ज़ैनब शेख said...

गुफ़रान भाईसाहब,क्या आपको सचमुच ऐसा लगता है कि अनूप मंडल के लोग पूरी तरह से मूर्ख हैं और बिना तर्क और तथ्य के अपनी बातें रखते हैं? साफ़ जवाब दीजिये ताकि पता चल सके कि आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है कि जादू का वजूद है या नहीं। मैं इस विषय पर ............ नहीं लगाउंगी क्योंकि ये मेरी आदत में नहीं है।
जय जय भड़ास

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

जातिगत राजनीति हो या साम्प्रदायिक मुद्दे,
इस वर्ण विभेद ने हमारे देश का नुकसान ही किया है,
डाक्टर साब सरीखे लोग इस बे पेंदी के लोटे से कोसो दूर होते हैं,

हमारी शक्ति हमारी एकता में है और इस एकता का मूल मन्त्र सिर्फ इतना कि इसकी उपयोगिता सामाजिक चेतना और सामाजिक समरसता के लिए हम भी (भड़ास) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं.
सभी साथी से अपील.
जय जय भड़ास

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