लो क सं घ र्ष !: जीवन है केवल छाया
जीवन सरिता का पानी ,
लहरों की आँख मिचौनी ।
मेघों का मतवालापन ,
बरखा की मौन कहानी॥
गल बाहीं डाले कलियाँ,
है लता कुंज में हँसती।
चलना,जलना , जीवन है
आहात स्वर में हँस कहती॥
संसार समर में कोई,
अपना ही है न पराया।
सम्बन्ध ज्योति के छल में,
जीवन है केवल छाया॥
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'
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