मुंबई में बड़ी ही बेरहमी से लगभग पौने दो सौ मासूम और निहत्थे लोगों को जिस नरपिशाच आतंकवादी अजमल कसाब ने २६ नवम्बर को गोलियों से भून डाला था उस नीच को जन्नत की ख्वाहिश है। इतने दिनों से भारत सरकार ने उसे जवांई बना कर रखा हुआ है अब वह नराधम राक्षस रमजान के पवित्र महीने में रोज़े रखना चाहता है। मुसलमान होने का दम भरने वाला ये हत्यारा भारत सरकार और यहां के लीचड़ मुसलमानों के कारण जीवित है वरना अगर किसी अरब देश या अमेरिका में होता तो अब तक इसके टुकड़े करके गली के कुत्तों को खिला दिये गये होते। पहली बात तो जो भी वकील इसका केस लड़ रहा है वो चाहे तो सरकार से मना कर सकता है कि अपने निजी विवेक के आधार पर वह केस नहीं लड़ना चाहता इस पर कोई सरकार उसे बाध्य नहीं कर सकती लेकिन वो लालची अगर फिर भी सारे मानवता के उसूल भूल कर उस पिशाच का केस लड़ रहा है तो उस जमात पर लानत है जो अब तक उसका हुक्का-पानी समाज में जारी रखे हैं। अजमल कसाब ने जेल में रमजान के माह में रोज़े की समय सारणी मांगी है और सही समय पर सहरी और इफ़्तारी के लिये भोजन। इस कमीने की हिम्मत तो देखिये कि वो मांगे कर रहा है और धार्मिक भी जता रहा है खुद को, पता नहीं कौन सा धर्म है इस शैतान की औलाद का। रोज़े रख कर ये अब भी अल्लाह की नजर में भला आदमी बना रहेगा। कोई इस शैतान का वध क्यों नहीं कर डालता.......
जय जय भड़ास
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