आदरणीय सुमन भाई! राक्षस बौखला कर हमें गाली लिख रहे हैं

आप सब देख सकते हैं कि इन राक्षसों की कुटिलता और नीचपन के साथ ही इनका मायाजाल कि ये सामने आकर कुछ नहीं करते वरना इनका क्या होता आया है युगों - युगों से ये जानते हैं। ये हमको गाली भी अपनी राक्षसी पहचान छिपा कर दे रहें हैं अगर साहस है तो सामने आएं न भड़ास तो विमर्श का इतना बड़ा मंच है। ऐसा नहीं है कि हम गाली का जवाब गाली से नहीं दे सकते लेकिन ये व्यर्थ ऊर्जा व्यय करना है। हमेम जो करना है हम कर रहे हैं और इनके नंगे राक्षस अपनी ही हरकतों के उलट दुष्प्रभाव से मर रहे हैं जो कि ये जानते हैं इसलिये बौखला कर हमें गाली लिख रहे हैं अब सारी अहिंसा का ड्रामा खत्म हो गया राक्षसों का, उतर आए राक्षसपन पर.....आदरणीय सुमन भाई हमारे पास जो जानकारियां है वे इतनी प्रामाणिक हैं कि हमारे ऊपर कभी आप खुद जांच कर देखिये बिना तथ्य की बात न पाएंगे, हम सब निष्पक्ष ही हैं लेकिन मानवता के पक्षधर हैं ये जैन दानव हैं अल्पसंख्यक नहीं ये बात ये कभी नहीं मानेंगे। चूंकि इनके पास अकूत धनबल है मीडिया इनका है इसलिये हमारी आवाज़ अब तक दबी रही लेकिन बारंबार धन्यवाद है भड़ास के संचालकों का जिन्होंने हम गरीबों के लिये मंच प्रदान करा और सीधा राक्षसों से संभाषण का मौका उपलब्ध कराया। एक बात और कि ये जिनों के उपासक गलत बता रहे हैं कि जिन शब्द अलग है और "जिन्न" अलग जो कि पैशाचिक ताकतों के लिये प्रयोग होता है, इस जिन शब्द का प्रयोग आपको इस्लाम की धर्म पुस्तक कुरान शरीफ़ में मिल जाएगा जो कि "जिन " ही है न कि जिन्न जैसा कि महावीर सेमलानी और अमित जैन ने आप सबको भ्रमित कर समझाने की कोशिश करी थी, लोग इन दुष्टों के मायाजाल में इसी तरह आ जाते हैं ये बड़े बहुरूपिए हैं और शब्दछली भी । इस बात की पुष्टि आप भाई गुफ़रान और हमारे उर्दू के विद्वान परम आदरणीय डा.रूपेश श्रीवास्तव जी से करवा सकते हैं। ये इसी तरह शब्दों और थोड़े बहुत हेरफेर से हमारे सनातन धर्म के धर्मग्रन्थों में घुस गए और मूर्तिपूजा,अवतारवाद,कर्मकाण्ड आदि डाल कर हमारे धर्म को इतना दूषित कर दिये हैं कि हमें खुद नहीं पता कि हिंदू धर्म का मूल स्वरूप क्या है ये यही चाहते थे । आप यदि सनातन धर्म के स्वामी दयानंद सरस्वती जी का लिखा सत्यार्थ प्रकाश पढ कर देंखे तो इन जैन राक्षसों की हकीकत जान जाएंगे लेकिन अब तो ये खुद को हिंदुओं में ऐसे घुसाए हैं कि लोग जान ही नहीं पाते कि ये अलग हैं मानव नहीं हैं राक्षस हैं। हिंदू संगठनों मे उच्च पदाधिकारी बने बैठे हैं। दुर्भाग्य है कि हिन्दू-मुसलमान आपस में लड़ते अहिं और इन दुष्टों का कुचक्र नहीं समझ पाते आशा है कि भड़ास पर हमारी आवाज़ से कुछ जागरण होगा।


जय नकलंक देव


जय जय भड़ास

1 comment:

मुनेन्द्र सोनी said...

आपने शत-प्रतिशत सही लिखा है महावीर सेमलानी और अमित जैन की तो बात छोड़िये आपके सामने संजय बेंगाणी का उदाहरण मौजूद है जिसकी कि पोल भड़ास पर खोली गयी थी जो कि जैन हो कर भी खुद को हिंदू बताता है और भगवान राम से प्रभावित बताता है। ये साले नंगे राक्षसों की पूजा करने वाले शैतान हैं जो कि खुद को अपने फ़ायदे के लिये हिंदू बताते हैं और फिर अल्पसंख्यक असुर बन जाते हैं कानूनी तौर पर। संजय बेंगाणी तो गुजरात में है इसलिये हिंदू बनने का नाटक कर के कह रहा था कि आप लोग हिंदुओं में फूट डाल कर क्या उल्लू सीधा करना चाहते हैं,खुद देख लीजिये कि इनकी बातों मे कितना रहस्य रहता है।
दूसरी बात जो डा.साहब और गुफ़रान भाई के साथ मुनव्वर आपा भी स्पष्ट कर सकती हैं वो आप लोग अवश्य बताएं कि क्या महावीर सेमलानी जो जिन और जिन्न में भेद बता रहे थे वो क्या है?
जय जय भड़ास

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