मेरी पहली कविता !

मेरी परी........


एक परी थी,
हाँ वो परी ही तो थी!
मुझे वो सोनू कहा करती थी,
और में भी उसका शोनू ही तो था !
हमारी मिली जुली खनकती ,
हँसी आज भी मेरे कानों में गूंजती है,
जिसकी आवाज सुनकर मेरी आँखें बंद होती थी !
और सुबह जिसकी आवाज सबसे पहले सुनता था,
हाँ वो परी ही तो थी!
जीवन का सफ़र जारी है,
मेरा भी उसका भी,
बस नहीं है तो इतना कि,
हम हमसफ़र नहीं हैं !
परी हमसफ़र होती भी नहीं है,
सच वो परी ही तो थी !
क्या परी फिर से किसी को भी सोनू पुकारेगी ?
फिर से किसी को शोना बनाएगी ?
रजनीश के झा

28 comments:

ओम आर्य said...

bahut khubsoorat bhaw liye huye kawita....atisundar

वन्दना said...

waah ..........kamaal kar diya .........pahli hi kavita bahut bhavpoorna likhi hai lagata hi nhi ki pahli kavita likhi hai......keep writing.

pawan said...

bahoot khoob isi tarah likhte raho

Kusum Thakur said...

पहली कविता के लिए बधाई.
भावपूर्ण कविता है ऐसे ही लिखते रहिये.

Navin Tiwari said...

nice one rajneesh bhai

Riyaz Hashmi said...

उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थी साथ मेरे,
मुझे रोक रोक पूछा, तेरा हमसफर कहां है......।
बहुत खूब रजनीश भाई। मरहबा...।

Nitin Gupta said...

guru ji aap to sach ka samna kra dete he har dfaaaaaaaaaaa..............akhir qooooooooo

Diben Singh said...

khwaab to dost nahi,
dost nahi hain khwab ki badal jaayenge,
ki hame dhoop me dekhenge to katra jaayenge,
khwaab dost nahi hain,
ki bichhudenge to yaad aayenge.

Riyaz Hashmi said...

रजनीश भाई ये परी भी है और कविता भी। जारी रखें।

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

रियाज भाई,
प्रतिक्रया के लिए आभार, बस लिखते लिखते लिख गया और शायद कविता बन गयी,
अगर ऐसा है तो मेरे जीवन की पहली कविता होगी ये :-)

Sailaja Sharma said...

Nice attempt...Keep writing

Debashreeta Mishra said...

sundar

Sanjay Kumar said...

accha likh lete ho very good

Mohan Vashisth said...

Rajneesh ji bahut sunder plz keep it up

Uday Shankar said...

Rajneesh jee...ya fir sonu jee....ab kya aapko bolu.? achhi lagi...go ahed

S P Bhatia Journalist said...

aapki yeh rachna aatamtiyta ki sanvedna ko chhuti hai ......mubarak ...bahoot badiya hai ...yeh pryaas jaari rakhein .

Archana Jain said...

thi nahi,hai ,kahin nahi gai hai wo,phele thi wo sirf ankhon main aapki,ab dil main uttar gai hai wo.

वन्दना अवस्थी दुबे said...

are waah!!!bahut sundar

Anshu said...

बहुत खूबसुरत आउर समबेदनशील कविता है. बधाइ पहली कविता केलिए.

निर्मला कपिला said...

परी हमसफ़र होती भी नहीं है,
सच वो परी ही तो थी !
पहली कविता वो भी परी जैसी बहुत खूब बहुत सुन्दर मर्म को छूती कविता लिखते रहें

Amit K Sagar said...

V.nice bro. keep it up. really well written.

anuradha srivastav said...

like it..........

anuradha srivastav said...

बधाई हो ......आखिर दिल के हाथों मज़बूर होकर ही सही लेकिन कविता लिखी ना। अपने इस प्रयास में आप सफल भी रहें हैं । टिप्पणीयां इस बात की गवाह हैं।उम्मीद है इसी तरह आगे भी कुछ नया पढने को मिलेगा ।

अग्नि बाण said...

भावपूर्ण कविता,
बधाई

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

सभी मित्रों का प्रतिक्रिया और उत्साहवर्धन के लिए ढेरों आभार

रंजनी कुमार झा (Ranjani Kumar Jha) said...

बहूत खूब,
सुन्दर भाव और शालीनता के साथ दर्द का वर्णन,
बहूत बहूत बधाई.

Roshan Kumar said...

Rajneesh bhai.. Aapki Pari jaisi ek pari mere pass bhi hai.

शोभा said...

bhav puran abhivyakti dil ko chhu gayi. bahut sundar likha hai.

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