एक संस्मरण............... (अतीत के पन्ने से......)

अभी कुछ दिनों पूर्व में मुंबई में था, वहां से चलने की बारी आयी तो अपने परिवार से मिलने की तमन्ना भी सबसे पहले। डॉक्टर साब को बताया तो डॉक्टर साहब ने कार्यक्रम भी तय कर दिया। जगह था नवी मुंबई का वाशी स्टेशन जहाँ हमारा परिवार मेरे लिए जमा था और मैं अपने आप में लाखों खुशियों को समेटे इस परिवार की सन्निकटता महसूस कर रहा था।





मनीषा दीदी रुपेश भाई को इडली खिला रहीं हैं




दीदी इडली मेरे लिए भी !!!!!!!


दीदी का मातृत्व भाव और मैं भावःविह्वल और आह्लादित डॉक्टर साब



न्याय के लिए दो सिपाही हुए साथ



दो भडासी मंथन करते हुए



हमारी आपा और आपा के दो नौनिहाल रजनीश और रुपेश



ये एक छोटा सा भड़ास परिवार मिलन समय था कहने सुनने को बहुत कुछ जो बाद में मगर पहले इन्तेजार कीजिये की इडली के साथ वाला साम्भर कहाँ गया।जारी रहेगा.................


2 comments:

mark rai said...

nice.work....

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

पुरानी यादें अभी भी उतनी ही ताज़ा हैं कुछ नहीं धूमिल हुआ है बालक! बस समय तेजी से अपने आयाम में गति करता जा रहा है...
जय जय भड़ास

Post a Comment