अभी कुछ दिनों पूर्व में मुंबई में था, वहां से चलने की बारी आयी तो अपने परिवार से मिलने की तमन्ना भी सबसे पहले। डॉक्टर साब को बताया तो डॉक्टर साहब ने कार्यक्रम भी तय कर दिया। जगह था नवी मुंबई का वाशी स्टेशन जहाँ हमारा परिवार मेरे लिए जमा था और मैं अपने आप में लाखों खुशियों को समेटे इस परिवार की सन्निकटता महसूस कर रहा था।
2 comments:
nice.work....
पुरानी यादें अभी भी उतनी ही ताज़ा हैं कुछ नहीं धूमिल हुआ है बालक! बस समय तेजी से अपने आयाम में गति करता जा रहा है...
जय जय भड़ास
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