आकाश को देख रहा हूँ । कोई छोर नही दीखता । इतना फैला हुआ है ...... डर लग लगता है ।
सोचता हूँ । हमारे अलावा इस ब्रह्मांड में कही और जीवन है ???
अगर नही तो रोंगटे खड़े हो जाते है । इतने बड़े ब्रह्माण्ड में हम अकेले है !विश्वास नही होता ...लगता है , कोई तो जरुर होगा ।
फ़िर सोचता हूँ । आकाश को इतना फैला हुआ नही होना चाहिए । कुछ तो बंधन जरुरी है । भटकने का डर लगा रहता है ।
सुना है पृथ्वी गोल है । हो सकता है , ब्रह्माण्ड भी गोल हो । किसे पता ?? भाई हमारी भी तो एक सीमा है । सबकुछ नही जान सकते । कुछ दुरी तक ही भाग दौड़ कर सकते है । भाग दौड़ करते रहे । इसी का नाम तो जीवन है । इतना सलाह जरुर देना चाहुगा की सबकुछ जानने के चक्कर में न पड़े । यह एक बेकार की कवायद है । इस राह पर चल मंजिल को पाना तो दूर की बात है , खो जरुर देगे ।
इधर ये भी सुनने में आया है की एक क्षुद्र ग्रह पृथ्वी से टकराने वाला है ...शायद २०२८ में !
यह सनसनी है या हकीकत नही पता ।
अगर सनसनी है ...तो है ..पर वास्तव में ऐसा है तो परीक्षा की घड़ी आ गई है ...
इस खबर को सुनकर सुमेकर लेवी वाली घटना याद आती है , जब मै बच्चा था । सुमेकर बृहस्पति से जा टकराया था । यह घटना १९९४ की है । उस समय ऐसी ख़बर सुन डर गया था ।
देखते है ...२०२८ में क्या होता है .......
1 comment:
मार्कण्डेय भाई! परेशान मत होइये हम कायनात में अकेले तो हरगिज नहीं है बस life-forms के जो प्रचलित रूप हम स्वीकारते हैं जीवन उससे भी सूक्ष्मेक्ष्ण और विराट है तो अन्य ग्रहों पर ही क्यों जिसे हम आकाश कहते हैं वहां भी जीवन है, समस्त पदार्थ जीवन को ही समेटे है। यदि हम खुद मानव को विश्लेषित करते चले जाएं तो अंत में हमारे हाथ में घूम-फिर कर वही कार्बन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, आक्सीजन आदि के परमाणु आने वाले हैं और फिर उनके मौलिक कण और उनके क्वार्क्स और उनके ......
क्या है जीवन????
जय जय भड़ास
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