चलिए निकालिए अपनी अपनी भडास या भर दीजिये हास.....

जैसा की मैंने अभी हाल में एक अन्य चिट्ठे में सब से गुजारिश की है की जब यहाँ हम सब कुछ न कुछ लिख और पढ़ ही रहे हैं तो क्यूँ न इसके साथ साथ कुछ उन मुद्दों पर भी बात की जाए जो आज देश, समाज, विश्व के लिए चुनौती बने हुए हैं। और जाहिर है की इस तरह की बातें जब बहस के रूप के ,परिचर्चा के रूप में आती हैं तो उनें एक दिशा और सार्थकता मिल जाती है। अब चूँकि मैं ख़ुद इस इतने बड़े मंच का सदस्य हूँ तो सोचा की क्यूँ न यहें से शुरात की जाए, वैसे ये सिर्फ़ मेरा विचार है , और आपकी सहमती तथा सहयोग के बिना तो कुछ भी सम्भव नहीं होगा, ।

इसलिए आज यानि रविवार से शनिवार तक मैं बहस के लिए एक विषय आपके सामने रख रहा हूँ। और हाँ आपने जो भी है उसे एक अलग पोस्ट में कहें , शनिवार तक जो भी जो कुछ भी कहना है वो कहें , उसका जो भी निष्कर्ष निकलेगा उसे हम एक सारांश के रूप में एक पोस्ट के रूप में रखेंगे ,इस बहस को समाचार पत्रों के माध्यम से सबके सामने रखना मेरी जिम्मेदारी ...



विषय प्रणाली :- शिक्षा संस्थान हमारे प्रणाली, शिक्षा संस्थान, हमारे शिक्षक, हर्मारे स्कूल आदि सबकुछ। जो भी आपके मन में है, कहें, मैं इस विषय पर अपनी पोस्ट जल्दी ही लिखूंगा

2 comments:

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

अजय भाई, सही कहा आपने, वस्तुतः भड़ास के दर्शन से जुड़ी मूल धारणा यही है कि हम मात्र समस्याओं की तरफ़ उंगली उठा कर शब्दप्रपंच न करें अपितु समस्या के सार्थक सर्वमान्य एवं प्रायोगिक हल भी तलाशें और उन्हें लागू कराने के यत्न भी उतनी ही ऊर्जा के साथ करें। आपकी शुरूआत साधुवाद के योग्य है। शिक्षा का क्षेत्र तो आजकल इस स्थिति में आ गया है कि इस पर पुनर्विचार आवश्यक हो गया है जल्द ही मैं स्वयं आपके विचार पर पोस्ट लिखूंगा और अन्य भड़ासियों से भी कहूंगा कि अपने अनुभवादि लिखें ताकि रचनात्मक पहल हो सके।
जय जय भड़ास

अजय कुमार झा said...

dr. saahab shukriyaa, saath dene ke liye ...

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