जाहिल किस्म के अफगानी लोग वहाँ की कानूनी प्रणाली द्वारा बनाए गए नए विवाह कानून के पक्ष में विरोध करती मासूम औरतों पर पत्थर फ़ेंक रहे हैं। ये नियम कहता है की भले पत्नी अस्वस्थ हो या उसका मन हो या न हो पति उससे सम्भोग की हर चार दिन में मांग कर सकता है और यह बात कानून सम्मत होगी। सीधे शब्दों में ये एक तरह से पत्नी के साथ विभत्सता पूर्ण पाशविक बलात्कार की कानूनी अनुमति है जिसमें की धर्म को भी घुसेड कर एक औजार की तरह से इस्तेमाल करा जाएगा। इनमें और दरिंदों में भला क्या फर्क है? बस एक ही बात है पेट और पेट के निचे की भूख मिटाओ चाहे तरीका कानूनी हो या गैरकानूनी क्या फर्क पड़ता है ...गनीमत है की हम हिन्दुस्तान में हैं वरना हम भी पत्थर खा रहे होते और हर चौथे दिन ............
जय जय भड़ास
4 comments:
ये जो भी कानून में धर्म(धर्मान्धता) का शर्बत मिलाया जा रहा है वह साफ़ बताता है कि ये लोग अभी भी कबायली सोच के लोग हैं जो कि जंगल के कानून को ही मानते हैं और चलती हुई तेज़ हवा,आसमानी बिजली की कड़क के आगे दो जहां के मालिक के आगे घुटने टेक कर उसके नेक बंदे बन जाने में ही यकीन रखते हैं। आपने जो लिखा सहमत होंगी सभी(?)भारतीय जागरूक महिलाएं इस दरिंदगी के विरोध में....
जय जय भड़ास
ज़ैनब आपा,आप सही कह रही हैं हमारे लिये हिंदुस्तान सबसे सुरक्षित देश है, आपसे पूरी तरह सहमति है
जय जय भड़ास
जैनब आपा अपने मार्मिक ढंग से कबाइली इलाकों में औरतों पर बढते पुरुष प्रधान समाज के ज़ुल्म को रखांकित किया है मै आपसे पूरी तरह सहमत हूँ हाँ लेकिन इतना ज़रूर कहूँगा की कम से कम इसलाम में इस तरह के ज़ुल्म और ज्यादती की कोई जगह नहीं है लेकिन आज जिस तरह से मज़हब को आगे करके अपना उल्लू सीधा करने का प्रचालन बढता जा रहा है उससे ज़रूर धर्म को ठेस पहुँच रही है.....,
[डॉक्टर साहब जंगल का कानून और दोनों जहाँ के मालिक के आगे घुटने टेकने में बहोत फर्क है]
आपका हमवतन भाई.......गुफरान....अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद......
sahi kaha yah baltkaar se kam nahi....laanat hai aise krity par ...aur karjayi ke kaanun par...
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