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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने वॉशिंगटन में जारी एक बयान में कहा कि हर झील में मौजूद बर्फ की मात्रा उसके आकार पर निर्भर है। अनुमान के मुताबिक वहां कुल 60 करोड़ मेट्रिक टन बर्फ हो सकती है। चंद्रयान -1 पर लगे मिनी-एसएआर (मिनिएचर सिंथेटिक अपर्चर राडार) ने पिछला साल चंद्रमा के स्थाई रूप से अंधेरे में रहने वाले ध्रुवीय हिस्से की मैपिंग में बिताया था। नासा के स्पेस ऑपरेशन्स मिशन डायरेक्टोरेट के जैसन क्रुसान ने कहा कि इससे भविष्य के अभियानों को खोज के लिए नया लक्ष्य मिल गया है। इसके पहले चंद्रयान-1 पर ही मौजूद नासा के मून मिनरलोलॉजी मैपर ने चंद्रमा के ध्रुवीय हिस्से में पानी के अणु खोजे थे।
चेन्नई में जारी भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन (इसरो) द्वारा जारी बयान के मुताबिक मिनी सार की खोज ‘जीयोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ में प्रकाशित हुई है। इसे चंद्रयान-1 के प्रधान वैज्ञानिक व अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लैब के प्रो. जेएन गोस्वामी तथा स्पेस अप्लीकेशन सेंटर, अहमदाबाद के डॉ. एम चक्रवर्ती सहित भारत व अमेरिका की 13 एजेंसियों के वैज्ञानिकों ने लिखा है।
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